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    यूपी में बिजली के लिए विरोध, बंद और पुतला दहन

    By Edited By:
    Updated: Thu, 28 Aug 2014 04:46 PM (IST)

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था अब कानून-व्यवस्था के लिए सिरदर्द बनने लगी है। आम आदमी बिजली कट ...और पढ़ें

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    लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था अब कानून-व्यवस्था के लिए सिरदर्द बनने लगी है। आम आदमी बिजली कटौती के विरोध में खड़ा हो गया है। जगह-जगह सरकार विरोधी नारेबाजी और मुख्यमंत्री का पुतला दहन हो रहा है। जुलूस, प्रदर्शन, नारेबाजी, बाजार बंदी और पुतला दहन को लेकर पुलिस से झड़पें हो रहीं है। इस सबके बीच बिजली कटौती जारी है। अब सरकार ने इससे निपटने के लिए उद्योगों की बिजली कटने का इरादा कर लिया है। उल्लेखनीय है कि कमी के चलते कई दिनों से गांवों को औसतन छह घंटे भी बिजली नहीं पहुंच रही है। जिला मुख्यालयों को 11 घंटे, मंडल को 14, बुंदेलखंड को 13 व महानगरों को 16 घंटे ही औसत बिजली आपूर्ति की जा रही है।

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    इस बीच प्रदेश भर में बिजली के लिए आंदोलन जारी है। बिजली समस्या को लेकर आगरा के फतेहपुर सीकरी सांसद बाबूलाल के साथ कमिश्नरी घेराव को पहुंचे भाजपाइयों पर कल हुए लाठीचार्ज के विरोध में आज बाजार बंद रहे। विरोध स्वरूप मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पुतला फूंका गया। बस्ती में आज भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने गौर थाने पर प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बाद ज्ञापन सौंपा।

    ध्यान रहे कि कल फतेहपुर में बिजली विभाग के भंडार गृह में छापे के दौरान नदारद स्टोर प्रभारी एके अंसारी एवं सहायक अभियंता सुनील कुमार को निलंबित किया गया। हरदोई, रायबरेली और इटावा में बिजली कटौती की गई। औरैया में लोगों ने वीआइपी इलाकों की बिजली कटवाकर विरोध जताया। बुंदेलखंड बिन बिजली तड़प रहा है। बाराबंकी में बिजली विभाग का दफ्तर घेरा गया लखीमपुर में मार्ग जाम और गोंडा में तो गुस्साई महिलाएं सड़क पर उतर आईं। पूर्वाचल में धरना-प्रदर्शन और उपकेंद्रों पर तालाबंदी की गई। अमरोहा, अलीगढ़, हाथरस में उपकेंद्र आंदोलनकारियों के घेरे में रहे।

    चार घंटे कटेगी उद्योगों की बिजली

    बिजली कटौती से निपटने के लिए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अब उद्योगों की बिजली काटने का फैसला किया है। फिलहाल दिन में उद्योगों को चार घंटे बिजली नहीं दी जाएगी। अब तक उद्योग कटौती कटौती से मुक्त थे। गौरतलब है कि काफी समय बाद उद्योगों की बिजली काटने की नौबत आई है। सूबे में उद्योगों की बिजली का भार लगभग 700 मेगावाट है।

    केंद्रीय कोटे से कम बिजली

    केंद्रीय कोटे से कम बिजली मिलने के कारण प्रदेश में ढाई हजार मेगावाट तक बिजली की कमी बनी है। बिजली की मांग जहां 13 हजार मेगावाट से ऊपर तक रही वहीं दिन में उपलब्धता दस हजार मेगावाट से भी कम रही। पावर कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने बताया कि आज के लिए एनर्जी एक्सचेंज से लगभग 10 करोड़ रुपये की 19.4 मिलियन यूनिट बिजली ली गई है। ऐसे में गांवों से लेकर बड़े शहरों तक कम बिजली कटौती होगी।

    बिजली संकट पर बैठक

    बिजली को लेकर बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते ऊर्जा विभाग के अफसरों की बैठक में कार्पोरेशन के अफसरों ने बिजली की मांग और उपलब्धता के आंकड़े रखे और केंद्रीय कोटे से ज्यादा से ज्यादा बिजली दिलाए जाने का अनुरोध किया गया। दरअसल, पूर्व में जहां केंद्रीय कोटे से 123 मिलियन यूनिट (एमयू) तक बिजली मिल रही थी वहीं आजकल 107 एमयू ही दी जा रही है।