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काग्रेस के भीतर प्रियंका बनीं मुद्दा

जागरण ब्यूरो, लखनऊ। प्रियंका गाधी वाड्रा द्वारा पूरे देश में पार्टी के लिए प्रचार करने की खब

By Edited By: Published: Tue, 15 Oct 2013 07:28 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2013 01:24 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, लखनऊ। प्रियंका गाधी वाड्रा द्वारा पूरे देश में पार्टी के लिए प्रचार करने की खबरों का आनन फानन में खंडन करते हुए काग्रेस ने इसका दोष मीडिया पर मढ़ तो दिया लेकिन काग्रेस के भीतर प्रियंका एक मुद्दा बनती जा रही हैं। पार्टी की इलाहाबाद इकाई ने तो उन्हें पंडित जवाहर लाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र फूलपुर से चुनाव लड़ाने के लिए बाकायदा प्रस्ताव पारित कर नेतृत्व से अनुरोध भी किया है।

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प्रियंका गाधी को लेकर काग्रेस के भीतर दुविधा, असमंजस, आशका और विरोधाभास व्याप्त है। अमेठी और रायबरेली में प्रियंका गाधी प्रचार करती रहती हैं और यहा के काग्रेसियों का आग्रह है कि वह रायबरेली और अमेठी से बाहर न निकलें। रायबरेली जिला काग्रेस के अध्यक्ष उमा शकर मिश्र कहते हैं कि प्रियंका सिर्फ अमेठी और रायबरेली में प्रचार करेंगी और उनके द्वारा देश भर में प्रचार करने की बात विपक्षियों की साजिश है। रायबरेली शहर काग्रेस अध्यक्ष सईदुल हसन इसे दुष्प्रचार करार देते हुए कहते हैं कि प्रियंका को केवल अमेठी और रायबरेली में ही प्रचार करना चाहिए। जाहिर है कि उमा शकर मिश्र और सईदुल हसन के नजरिए से तो इलाहाबाद काग्रेस कमेटी द्वारा प्रियंका को फूलपुर से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव विपक्षी साजिश ही हुयी क्योंकि फूलपुर रायबरेली और अमेठी से बाहर ही है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि जब प्रियंका को चुनाव लड़ाने की बात हुयी है। पिछले लोकसभा चुनाव के समय सुलतानपुर के काग्रेसियों ने उन्हें सुलतानपुर से चुनाव लड़ाने और अनिच्छुक होने पर उनके पति राबर्ट वाड्रा को चुनाव लड़ाने का अनुरोध किया था। मामला शीर्ष नेतृत्व से जुड़ा होने के कारण पार्टी नेता अधिकृत तौर पर इस विषय पर कुछ बोलने से बचते हैं लेकिन यह स्वीकार करते हैं कि प्रियंका को फिलहाल अमेठी और रायबरेली तक सीमित रखने की स्थानीय काग्रेसियों की मंशा के पीछे जितना हाथ आदतन व्यक्त होने वाली चाटुकारिता का है उतना ही आशकित होने का भी है। एक नेता की टिप्पणी अर्थपूर्ण है कि इस समय दोनों ट्रम्प कार्ड को एक साथ चलना ठीक नहीं है। दोनों के एक साथ मैदान में होने से बात बनी तो श्रेय प्रियंका के खाते में जाएगा और बात न बनी तो अब तक छिपे हुए ट्रम्प कार्ड का भ्रम भी टूट जाएगा। दोनों ही स्थितियों में राहुल गाधी कहा होंगे यह तो समझा ही जा सकता है। वैसे रायबरेली में ऐसे भी काग्रेसी हैं जो मानते हैं कि अगर काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी अपने को राजनीति से रिटायर करने जा रही हैं तो आगामी चुनाव में प्रियंका रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं।

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