प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेन्द्र कुमार निलंबित
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। सरकार के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' लैपटाप वितरण में गड़बड़ी तथा विलंब के आरोप में म
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। सरकार के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' लैपटाप वितरण में गड़बड़ी तथा विलंब के आरोप में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कल प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया। प्रमुख सचिव पर 90 हजार छात्रों को समय से लैपटाप नहीं मुहैया कराने का आरोप है। हालांकि ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है कि जितेन्द्र कुमार को निलंबन का दंश माध्यमिक शिक्षा निदेशक वासुदेव यादव के सेवा विस्तार संबंधित फाइल में अड़ंगा लगाने की वजह से झेलना पड़ा है। शासन ने निलंबन की अवधि में कुमार को राजस्व परिषद से संबद्ध किया है।
सरकार का मानना है कि 90 हजार छात्रों के बीच लैपटाप नहीं पहुंचने से उसे 16वीं लोकसभा चुनाव में लाखों मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रमुख सचिव पर लैपटाप वितरण योजना से जुड़ी सूचना जुटाने में अप्रत्याशित विलंब करने के कारण कार्रवाई की गई है। यही नहीं, जितेन्द्र कुमार के खिलाफ ढेरों शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंच रही थीं। खास यह है कि महकमे के ही कुछ अधिकारियों के साथ भी प्रमुख सचिव का शीतयुद्ध चल रहा था।
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कहां फंसा था पेंच
दरअसल, प्रमुख सचिव का तर्क था 46 हजार लैपटाप जिलों में ज्यादा बच रहे हैं जबकि हकीकत यह थी कि 90 हजार छात्रों को लैपटाप नहीं मिल पाया था। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने नये सिरे से जिलों से ब्यौरा मंगाने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव के निर्देश पर 90 हजार दावेदार छात्र सामने आए। इस बीच आचार संहिता लग गई।
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विवादों से पुराना है नाता
लैपटाप बांटने में लापरवाही के कारण भले ही जितेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया है लेकिन प्रमुख सचिव का विवादों से पुराना नाता है। बसपा सरकार में नंबर प्लेट घोटाला विवाद को लेकर भी जितेन्द्र कुमार काफी चर्चित रहे हैं। यही वजह रहा कि दो वर्ष की सपा सरकार में कुमार को करीब आधा दर्जन पदों लगाया और हटाया गया। महत्वपूर्ण यह रहा कि कई मंत्रियों ने विभाग में रखने से इनकार कर दिया। जितेन्द्र कुमार को महज दो दिन के अंदर चिकित्सा सचिव के पद से भी हटना पड़ा था।