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दिव्यांगों के लिए बनेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय : जावड़ेकर

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय में ब्रेल प्रेस खोलने में वह आर्थिक मदद देंगे।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 04:17 PM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 11:16 PM (IST)
दिव्यांगों के लिए बनेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय : जावड़ेकर
दिव्यांगों के लिए बनेगा केंद्रीय विश्वविद्यालय : जावड़ेकर

लखनऊ (जागरण संवाददाता)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में दिव्यांगों की शिक्षा के लिए एक विशेष केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। दिव्यांगों को स्कॉलरशिप देने के साथ ही हर शिक्षण संस्थान में ईक्वल अपच्र्यूनिटी सेल भी स्थापित किया जा रही है।

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डॉ.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दिव्यांगों के विकास के लिए कृतसंकल्प है। डा.शकुंतला मिश्र विश्वविद्यालय में ब्रेल प्रेस खोलने में मदद की मांग पर उन्होंने आर्थिक मदद देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश में 800 यूनिवर्सिटी हैं लेकिन वह विशेष काम करने वाले संस्थानों में ही जाते हैं।

समारोह कुलाधिपति राम नाईक ने छात्राओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि 53 मेडल 37 मेधावियों को मिले हैं और इसमें 28 छात्राएं हैं, सिर्फ नौ छात्र हैं। महिला सशक्तिकरण की यहां मिसाल देखने को मिलती है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में कैंप लगाकर दिव्यांगों को निश्शुल्क उपकरण बांटे जाएंगे। कुलपति प्रो. निशीथ राय ने बताया कि यूनिवर्सिटी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से भी अब दिव्यांगों को विशेष शिक्षा देगी। नार्थ इंडिया का पहला डेफ कॉलेज यहां खोला गया है। समारोह में छात्रा रंजना राव को चांसलर गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया। दृष्टिबाधित एमए हिंदी के छात्र मोहम्मद अकरम ने सर्वाधिक छह मेडल हासिल किए। वहीं 37 मेधावियों को 53 पदक वितरित किये गए जबकि 436 विद्यार्थियों को डिग्री मिली।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि विश्वविद्यालय में ब्रेल प्रेस खोलने में वह आर्थिक मदद देंगे। दिव्यांगों के लिए स्कॉलरशिप के साथ-साथ हर शिक्षण संस्थान में इक्वल अर्पाच्युनिटी सेल स्थापित किया जा रहा है। वहीं सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से इन्हें हुनरमंद बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि समावेशी शिक्षा देने से बड़ा कोई काम नहीं है। इस विश्वविद्यालय में जिस तरह दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ सामान्य विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है, वह अनूठा है। सामान्य विद्यार्थी यहां पर संवेदनशीलता का पाठ पढ़ते हैं और अच्छा इंसान बनने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा जिंदगी जीने की हिम्मत देती है। कार्यक्रम में विभिन्न संकायों व विभागों के मेधावियों को राज्यपाल राम नाईक ने मेडल व डिग्री दी। कार्यक्रम में मंच पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह भी बतौर अतिथि उपस्थित रहे।

वहीं कार्यक्रम में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में आइआइएम लखनऊ के निदेशक डॉ. अजीत प्रसाद, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक, लविवि के पूर्व कुलपति प्रो. आरपी सिंह, मुख्यमंत्री के पूर्व सलाहकार आलोक रंजन और डॉ. शकुंतला मिश्रा जिनके नाम पर यह विश्वविद्यालय बनाया गया है उनके पौत्र कपिल मिश्रा भी मौजूद रहे।

तीन वजहों से मुझे यहां आने में हुई खुशी

जावड़ेकर ने कहा कि देश में 800 यूनिवर्सिटी हैं और वह सभी के दीक्षांत में नहीं जा सकते। वह ऐसी यूनिवर्सिटी जो स्पेशल काम कर रही हैं, वहीं जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यहां तीन वजहों से उन्हें आने में खुशी हुई। पहला ब्रिटिश गाउन की जगह दीक्षांत ड्रेस पारंपरिक भारतीय परिधान में है, दूसरा यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के नाम पर प्रेक्षागृह बनाया गया और तीसरा सांकेतिक भाषा में मैंने राष्ट्रगान व कुलगीत होते पहली बार देखा।

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प्रमाणिकता व मेहनत से करें काम तभी होंगे कामयाब: दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि प्रमाणिकता व मेहनत से काम करने पर ही सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि डिग्री पाने के बाद भले ही आपका किताबी शिक्षा खत्म हो गई हो लेकिन ज्ञानार्जन करते रहना होगा। उन्होंने कहा कि मेडल लिस्ट देखें तो सर्वाधिक पदक छात्राओं के खाते में गए हैं। 53 मेडल 37 मेधावियों को मिले हैं और इसमें 28 छात्राएं हैं और सिर्फ नौ छात्र हैं। महिला सशक्तीकरण की यहां अनूठी मिसाल देखने को मिलती है। उन्होंने कहा कि डिग्री कुल 436 मेधावियों को मिली है। इसमें से 203 छात्र और 233 छात्राएं हैं। यहां भी छात्राएं 53 प्रतिशत व छात्र 47 प्रतिशत हैं।

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