मोदी की मजबूत राजनीति में जनता फूंकती चुनावी बिगुल
शब्दों के कुशल चितेरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बातों बातों में उत्तर प्रदेश में चुनाव की मजबूत चर्चा कर गए और इस इल्जाम से भी बच गए कि वह बलिया की धरती से उज्ज्वला योजना के आगाज के बहाने चुनाव का बिगुल फूंकने नहीं आए हैं।
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बलिया और वाराणसी के मंचों पर दबे-पिछड़े लोगों को गरीबी से निजात दिलाने की दिशा में अपनी योजनाएं और भाषण दोनों ही केंद्रित रखे। उन्होंने अपने संबोधनन में कहा कि आपने मुझे सेवा का मौका दिया। इसके लिए मां आपका आभारी हूं, मां गंगा का आभारी हूं, भोले बाबा का आभारी हूं। सुबह बलिया में था, इस समय आपके बीच हूं। हमारे देश में दुर्भाग्य से योजनाएं वही बनीं जिनसे वाट बैंक मजबूत होता रहे। देश का नागरिक मजबूत बने न बने, गरीब मजबूत बने न बने, हिन्दुस्तान मजबूत बने न बने लेकिन वोट बैंक जरूर मजबूत बनना चाहिए। बात निषाद भाइयों की करें तो उनके कल्याण के लिए किसने क्या किया। देखिए, जब तक हम समस्याओं की जड़ तक जाकर समाधान नहीं करेंगे, बेशक चुनाव जीत सकते हैं लेकिन गरीबों का भला नहीं होगा। हमने जो भी योजनाएं अब बनाई हैं, उसका मकसद है कि गरीब अब स्वयं गरीबी के खिलाफ लड़ सके। प्रधानमंत्री जन-धन योजना इसका उदाहरण है। आप देखिए कि आजादी के इतने सालों बाद भी करोड़ों लोगों ने बैंक का दरवाजा नहीं देखा था। हमने आपसे पूछता हूं कि क्या बैंकों तक गरीबों की पहुंच होनी चाहिए कि नहीं, क्या गरीबों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त होना चाहिए कि नहीं। प्रधानमंत्री जन धन योजना इस दिशा में प्रयास है। बैंकरों ने कई तरह से समझाया कि साहब, नुकसान होगा। मैंने कहा कि गरीबों के लिए नुकसान होता है तो होने दो। जीरो बैलेंस पर खुलेगा बैंक खाता, खुला, खुल रहा है। अरे भई, अमीरों की अमीरी तो बहुत देखी, कभी गरीबों की भी अमीरी तो देख लो। जीरो बैलेंस पर खाता खोलना था मगर हमारे गरीबों ने 35000 करोड़ से खाता खुलवाया। यह है गरीबों की अमीरी। बताइए, ऐसे गरीबों के लिए काम करने में मजा आएगा कि नहीं आएगा। लोगों को अब बैंक जाने की आदत पड़ रही है, बैंक वालों को आराम मत करने दो। बैंक गरीबों के लिए है, इसका लाभ उठाओ। पांच, दस, पन्द्रह रुपए कुछ भी डालो, डालते रहो, निकालते भी रहो लेकिन बैंक आते जाते रहो। मैं चाहता हूं बनारस में लोग इसका सबसे ज्यादा फायदा उठाएं। देश में करीब 30 करोड़ लोगों को सवा लाख करोड़ से ज्यादा लोन देकर उनका कारोबार बढ़ाया गया। आज देश में 60 फीसद धन उत्पादित करने वाला गरीब है, इनमें भी 22 फीसद महिलाएं हैं। यह उदाहरण है कि विकास कैसे किया जा सकता है। आज मैंने बलिया में रसोई गैस की योजना उज्ज्वला की शुरूआत की। भाइयों, बहनों, जिनके पास सिलेंडर नहीं होता वो दूसरों का कनेक्शन देखकर सोचते थे कि आखिर उनके यहां कनेक्शन कब होगा। कम ही दिनों की बात है कि जब सांसद 25 गैस कनेक्शन बांटकर वाहवाही लूटा करते थे। सोचिए, अब 5 करोड़ गरीब परिवारों के लिए उज्ज्वला कितनी बड़ी सौगात है, बलिया में आज इसी का शुभारंभ हुआ। इससे गरीब माताओं को उस धुएं से निजात मिलेगी जो 400 सिगरेट के बराबर है। अब इससे निजात मिलेगी। माताओं का स्वास्थ्य अब बेहतर होगा, समय बचेगा, पैसा बचेगा। आज बनारस में ये सरकार मछुआरों को संकट से बाहर कर रही है। ये समाज हमेशा डीजल के लिए परेशान रहता था, पैसे का रोना रोता था। अब इन्हें ई-बोट दी गई है, आज इनकी समस्याएं खत्म की जा रही हैं। इससे न केवल हमारे मछुआरा समाज को राहत मिलेगी, कमाई बढ़ेगी वरन टूरिस्टों को भी शांति-सुकून में गंगा दर्शन करने में आनंद आएगा। अब हर टूरिस्ट ई-बोट पर ही बैठना चाहेगा। ई-बोट पर छत बनाकर सोलर पैनल लगा दिया है, बैटरी उसी से चार्ज होगी, अपका मोबाइल फोन भी उसी पर चार्ज हो जाएगा। डीजल की बचत, पैसे की रोज बचत करीब 500 रुपए। बताइए, मछुआरा समाज खुश होगा कि नहीं। अब मछुआरा समाज गरीबी से लड़ने के लिए खुद को मजबूत पाएगा। अब जो पैसा बचेगा, उसका सदुपयोग करे मछुआरा समाज।
उज्जवला के बहाने चुनावी बिगुल
शब्दों के कुशल चितेरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बातों बातों में उत्तर प्रदेश में चुनाव की मजबूत चर्चा कर गए और इस इल्जाम से भी बच गए कि वह बलिया की धरती से उज्ज्वला योजना के आगाज के बहाने चुनाव का बिगुल फूंकने नहीं आए हैं।शुरुआत ऐसे लोगों से की जो राजनीति नहीं करते। प्रधानमंत्री का कहना था कि दिल्ली में कुछ ऐसे लोग बैठे हैं जो राजनीति में नहीं हैं, पर दिन रात राजनीति ही करते हैं। ऐसे लोगों ने हवा उड़ा दी कि मोदी बलिया से उज्ज्वला योजना की शुरुआत वहां आसन्न विधान सभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान का बिगुल फूंकने जा रहे हैं। जनता के मानसपटल में सीधे घुसने वाले शब्दों के साथ पीएम ने कहा कि चुनाव का बिगुल नेता नहीं, जनता फूंकती है। उनके इस बयान का जनता की ओर से तालियों के साथ खूब समर्थन भी मिला। प्रधानमंत्री ने सफाई दी कि बलिया को उज्ज्वला के लिए इसलिए चुना कि यहां सबसे कम एलपीजी कनेक्शन हैं। औसतन 100 में आठ। वह मध्यप्रदेश गए, झारखंड गए, हरियाणा गए। जहां जिस चीज की कमी है, उसके लिए अभियान शुरू किया और इसका फायदा भी मिला।
देश भर में भाजपा की जीत का आभार
अब राजनीतिक पंडित पीएम के इस भाषण का कई अर्थ निकालने में लगे हैं। दिल्ली में किसने कहां अफवाह उड़ाई, यह साफ नहीं, मगर प्रधानमंत्री ने इस बहाने उत्तर प्रदेश चुनाव को तो याद करा ही दिया। उनकी इन बातों को बल दे रहा था उनसे पहले मंच पर दिए पेट्रोलियम राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेंद्र प्रधान का भाषण। प्रधान ने साफ साफ कहा था कि लोकसभा चुनावों के दौरान 10 मई 2014 को मोदी जी की आखिरी सभा बलिया में ही हुई थी। देश भर में पार्टी की जीत हुई और भाजपा की सरकार बनी। बलिया की गौरव गाथा के दौरान बलिया को पूर्वी उत्तर प्रदेश का केंद्र बताते उन्होंने यहां तक कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पूर्वी उत्तर प्रदेश के थे और पीएम मोदी भी पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही प्रतिनिधित्व करते हैं। लब्बोलुआब यह कि बलिया से बनारस तक गरीबी दूर करने के सरकार के संकल्पों को बार बार दोहराकर शब्दों की बाजीगरी के साथ जनता में चुनाव की बात भी कर गए प्रधानमंत्री व उनके मंत्री और किसी को इसका आभास तक नहीं हुआ।