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यूपी विधानसभा में मार्शल कार्रवाई कराने से भड़का विपक्ष

यूपी विधानसभा में मार्शल के उपयोग पर विपक्ष ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और विफल सरकार पर जनसमस्याओं से कतराने का आरोप लगाया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2016 08:12 PM (IST)Updated: Tue, 23 Aug 2016 11:47 PM (IST)

लखनऊ (राज्य् ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में विरोध जता रहे विपक्षी सदस्यों को मार्शल से बाहर निकालने को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए विपक्ष ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की। आरोप लगाया कि चौतरफा फेल हो चुकी सरकार जनसमस्याओं पर बहस करने से कतरा रही है।

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जनता सबक सिखाएगी : बसपा

बसपा के दलनेता और नेता प्रतिपक्ष गयाचरन दिनकर ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी जानबूझकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने पर तुली है। सपा अपनी नाकामियों से मुंह छिपा रही है। जनप्रतिनिधि होने के नाते विधायक को सदन में आवाज उठाने का हक मिला है परन्तु उनको जबरन बाहर निकाला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। समाजवादी पार्टी की इस तानाशाही का जनता सही वक्त पर जवाब देगी।

लोकतंत्र का गला घोंटा : भाजपा

भाजपा के मुख्य सचेतक राधामोहन दास ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी लोकतंत्र का गला घोंट रही है। विधायक आम जनता की समस्याओं को सदन नहीं उठाएगा तो कहां पर उठाएगा? सरकार बहस से बच रही है इसीलिए मार्शल कार्रवाई करायी गयी। प्रदेश में जिस तरह से कानून व्यवस्था ध्वस्त है और महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं बेतहाशा बढ़ी है। इस पर सदन में सरकार जवाब देना नहीं चाहती थी। इसलिए विधायकों को बलपूर्वक बाहर करने की कार्रवाई अमल में लायी गई।

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लोकतंत्र में काला दिन : कांग्रेस

कांग्रेस विधानमंडल दलनेता प्रदीप माथुर ने मार्शल कार्रवाई का प्रदेश में लोकतंत्र का काला दिन बताया। कहा कि विपक्ष शांतिपूर्ण तरीके से बात रख रहा था लेकिन जिस घटिया और अपमानजनक ढ़ंग से सदस्यों को बाहर निकाला गया उससे उत्तर प्रदेश की जनता शर्मसार हे। सरकार के बर्बर तरीके को जनता की अदालत में लेकर जाएगा। सदन केभीतर व बाहर जनता की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। जिसको बर्दास्त नहीं किया जा सकता है।

किसानों की अनदेखी : रालोद

रालोद के दलनेता दलवीर सिंह का कहना है कि सदन में किसानों, गरीबों और कमजोर तबके की आवाज उठा कर विपक्ष सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का काम करता है। सोमवार को सदन में जो कुछ हुआ उसे किसी भी दृष्टि से अच्छा नहीं कहा जा सकता। सरकार को किसानों के मुद्दोंं पर सही जवाब देते हुए उचित कार्रवाई करानी चाहिए। सदन में किसानों की आवाज नहीं सुनी जाएगी तो उनका कैसे भला होगा?

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मजबूरन कार्रवाई करानी पड़ी :विधानसभा अध्यक्ष

विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय का कहना है कि साढ़े चार वर्ष में यह पहला मौका आया है जब मार्शल कार्रवाई करानी पड़ी। सदन का वक्त बचाने और जनहित के मसलों पर अधिक कार्रवाई के लिए यह कार्रवाई मजबूरन करनी पड़ी। बार बार समझाने के बाद भी कोई मानने का राजी न था।


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