मुनीर ने ऐसे दिया एनआइए अफसर हत्याकांड को अंजाम
बिजनौर के सहसपुर में पुलिस चौकी के नजदीक बाइक सवार बदमाशों ने तंजील अहमद को गोलियों से छलनी कर दिया था।
लखनऊ (जेएनएन)। सात साल पहले तक भोला-भाला दिखने वाला मुनीर अलीगढ़ आया तो सुनहरे भविष्य की तलाश में था, मगर आपराधिक किस्म के दोस्तों की संगत ने उसे जरायम की दुनिया का बड़ा चेहरा बना दिया। यहां उसने अपराध की पाठशाला खोली तो दोस्तों की संख्या बढऩे के साथ धमक भी बढ़ती चली गई। मुनीर का नाम सुनते ही एएमयू के छात्र थर्राने लगे। उसने ताबड़तोड़ वारदातें कीं। कुछ ही साल में उसका नाम तीन हत्याओं में सामने आया तो पुलिस ने गिरफ्तारी पर 15 हजार इनाम घोषित कर दिया। एनआइए अफसर तंजील की हत्या के बाद उसका नाम देश भर के अपराधियों में शुमार हो गया और सरकार को उस पर दो लाख का इनाम घोषित करना पड़ा।
तंजील अहमद हत्याकांड से संबंधित अन्य समाचारों के लिए यहां क्लिक करें।
ऐसे दिया हत्याकांड को अंजाम
दो अप्रैल की रात एनआइए के डीएसपी तंजील अहमद बिजनौर के स्योहारा में अपनी भांजी की शादी में शामिल होकर पत्नी और दोनों बच्चों के साथ कार से वापस गांव सहसपुर लौट रहे थे। सहसपुर में पुलिस चौकी के नजदीक बाइक सवार बदमाशों ने तंजील अहमद को गोलियों से छलनी कर दिया था। गंभीर घायल पत्नी फरजाना भी 11 अप्रैल को मौत के मुंह में चली गई थीं। तंजील के भाई रागिब ने तब अज्ञात में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस जांच में सहसपुर के ही मोहल्ला मौलवियान निवासी मुनीर अहमद व उसके साथियों का नाम सामने आया। पुलिस ने 12 अप्रैल को मुनीर के साथी इसी मोहल्ले के रैयान व जैनी और तंजीम अहमद व रिजवान अहमद निवासी मौलवियान को 13 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया था। मुनीर के पकड़े जाने पर तंजील के तहेरे भाई हसीब अहमद ने हत्यारोपी मुनीर व उसके साथियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। एसपी उमेश श्रीवास्तव ने बताया कि एसपी देहात के नेतृत्व में अपराध शाखा की टीम, एसओ स्योहारा और बढ़ापुर के साथ तेज-तर्रार पुलिस अफसरों की टीम मुनीर से पूछताछ के लिए नोएडा भेजी गई है।
आलमगीर हत्याकांड से चर्चा में
2015 में सहारनपुर निवासी एएमयू छात्र आलमगीर हत्याकांड के बाद मुनीर का नाम उछला तो कई जिलों की पुलिस पीछे लग गई। आलमगीर छात्रों के सहारनपुर ग्रुप का मुख्य सदस्य था। इसी वजह से आशुतोष मिश्रा का आलमगीर से झगड़ा होता रहता था। 2012 में हुए झगड़े में आशुतोष को चोटें आई थीं। इसी का बदला लेने के लिए आलमगीर की हत्या की गई। आशुतोष का संपर्क यहां के एक बड़े हिस्ट्रीशीटर से था। वही आशुतोष व मुनीर के ठहरने आदि का इंतजाम करता था। 2013 में आशुतोष और मुनीर ने चुनावों में बिजनौर निवासी मज्जर का सहयोग किया था। रामघाट रोड पर ठेकेदार मनदीप को गोली मारकर उसकी लाइसेंसी पिस्टल छीनी। एएमयू छात्र आलमगीर की हत्या के बाद पुलिस ने मुनीर की तलाश शुरू की, मगर वह हाथ नहीं लगा तो 15 हजार का इनाम घोषित कर दिया।
ऐसे आया अपराध की दुनिया में
एसटीएफ टीम ने बताया कि पूछताछ में मुनीर ने बताया कि वह 2009 में 12वीं पास कर बिजनौर से अपने फूफा के बेटे जफर के पास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दाखिले की तैयारी करने आया था। यहां उसकी मुलाकात अपराधी किस्म के छात्रों से हो गई। इनमें सबसे पहला नाम था आशुतोष मिश्रा का। आशुतोष कारोबारी फहद हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। इस हत्या में भी मुनीर का नाम आया था। बकौल एसटीएफ सदस्य, पूछताछ में मुनीर ने स्वीकारा कि उसने 2014 में बन्नादेवी क्षेत्र में रेलवे रोड पर बैंक के पास 34 लाख की लूट की थी। इस लूट में आशुतोष का सहयोग था। इससे एक महीने के बाद रामघाट रोड पर होटल महाजन पैलेस के पास 31 लाख रुपये की लूट की। एसटीएफ को मुनीर ने यह भी बताया कि आशुतोष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद उसने अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर चाय पी रहे रेलवे मजिस्ट्रेट के गनर की हत्या कर सरकारी पिस्टल लूटी थी।
तीन महीने छिपने पर खर्च किए 55 लाख
एनआइए अफसर तंजील अहमद हत्याकांड के मुख्य आरोपी मुनीर से पूछताछ में पता चला कि शातिर मुनीर ने तंजील अहमद की हत्या करने के बाद तीन महीने तक छिपने के लिए 55 लाख रुपये खर्च किए। लूट की तीन करोड़ की रकम में से एक करोड़ रुपये से उसने अपने गांव मोलवियान सहसपुर, बिजनौर में प्रापर्टी खरीदी थी। इसमें उसके दोस्त रिजवान ने मदद की थी। सोमवार रात मुनीर दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे में बस द्वारा प्रदेश छोडऩे वाला था। सूचना पर शुक्रवार की रात एसटीएफ ने 100 बसों की तलाशी भी ली थी। एसटीएफ के पहुंचने से 20 मिनट पहले मुनीर वहां से भाग निकला था। एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि पांच से छह बार ऐसा हुआ, जब एसटीएफ से छोटे-छोटे अंतराल पर मुनीर को पकडऩे का मौका छूट गया। मंगलवार सुबह एसटीएफ ने सटीक सूचना पर ग्रेटर नोएडा के बिसरख में मंदिर के सामने से मुनीर को उसके साथी अदनान निवासी अंबेडक नगर को दबोच लिया।
तीन दिन से गाजियाबाद छात्रावास में था
एसएसपी एसटीएफ अमित पाठक ने बताया कि तीन दिन से मुनीर गाजियाबाद स्थित एबीईएस कॉलेज के पीछे बने निजी छात्रावास में छिपकर रह रहा था। सोमवार रात वह बस से अहमदाबाद भागने वाला था। उन्होंने बताया कि लखनऊ के गोमतीनगर में 2015 में जज के सरकारी गनर को गोली मारकर मुनीर ने 9 एमएम की पिस्टल लूट ली थी। 2014 में दिल्ली के कमला नगर में सुरक्षाकर्मी की हत्या कर मुनीर ने डेढ़ करोड़ रुपये की लूट को अंजाम दिया था। मुनीर ने 2015 में बिजनौर में 91 लाख रुपये की लूट की थी। 2014 में अलीगढ़ में हुई 31 और 34 लाख की लूट में भी वह शामिल था। अलीगढ़ मुस्लिम विवि के पूर्व छात्र आशुतोष मिश्र को मुनीर अपना गुरु मानता है। अमित पाठक ने यह भी बताया कि मुनीर की गिरफ्तारी में यूपीएटीएस, दिल्ली स्पेशल सेल सहित कई अन्य जांच एजेंसियों ने सूचनाएं और साक्ष्य एकत्र करने में मदद की है। अलीगढ़ में हुई 31 लाख की लूट में इंडसइंड बैंक के एक कर्मचारी की भूमिका भी सामने आई है। उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। 2014 में मुनीर ने अपने दोस्त सद्दाम की गोली मारकर हत्या कर दी थी। 2015 में एक प्रधान की हत्या भी मुनीर ने की थी। लखनऊ में हुए ट्रिपल मर्डर में भी मुनीर का नाम प्रकाश में आया था।
मुनीर के गैंग में 25 बदमाश
मुनीर से बरामद सरकारी पिस्टल को जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेज दिया गया है। एसएसपी ने बताया कि मुनीर के गैंग में 25 बदमाश हैं। अलग-अलग जिलों के लोग उससे जुड़े हैं। मुनीर के साथ पकड़ा गया अदनान 10वीं पास है और कॉल सेंटर में काम करता था। पूछताछ के दौरान मुनीर ने यह भी बताया है कि उसने एक वकील को 20 लाख रुपये इसलिए एडवांस दिए थे कि जब भी पकड़ा जाए, जमानत पर बाहर लाने का प्रक्रिया शुरू हो जाए। कई दोस्त मुनीर के ऐसे भी हैं, जिन्होंने उसकी मदद करने के बदले में पांच से 10 लाख रुपये लिए। तीन करोड़ रुपये की रकम एकत्र होने के बाद मुनीर ने रुपया पानी की तरह बहाया। पूछताछ में मुनीर ने यह भी बताया कि उसका लक्ष्य था कि वह गिरफ्तार नहीं होगा, पुलिस के पकड़ते ही पुलिस टीम को गोली मारेगा। लेकिन एसटीएफ ने बेहतरीन तरीके से मुठभेड़ के दौरान मुनीर को दबोच लिया।