अब तैयार होने लगी बीटीसी बेरोजगारों की भीड़
लखनऊ। कानपुर के निजी कालेजों को मान्यता देने की अनियंत्रित व्यवस्था के चलते बीएड और बीटेक के
लखनऊ। कानपुर के निजी कालेजों को मान्यता देने की अनियंत्रित व्यवस्था के चलते बीएड और बीटेक के बाद अब बीटीसी बेरोजगारों की भीड़ तैयार होने लगी है। हर साल 49 हजार बीटीसी अभ्यर्थी डिग्री लेकर निकल रहे हैं जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के हर साल इसके चौथाई पद भी खाली नहीं होने वाले हैं।
वर्ष 2011 से पहले बीटीसी प्रशिक्षण केवल शासकीय व्यवस्था के अंतर्गत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में चलते थे। कुछ साल डायट बीटीसी पर ग्रहण लगा रहा और बीटीसी करके सीधे नौकरी का अवसर मिलने लगा तो प्रबंधकों को बीटीसी कालेज खोलना फायदे का सौदा दिखा। शासन ने निजी कालेजों को बीटीसी संचालन की मान्यता देनी शुरू की तो प्रदेश भर में धड़ाधड़ कालेज खुले। वर्तमान में करीब 72 हजार प्राथमिक व 30 हजार जूनियर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसके पूरा होने के बाद बीटीसी वालों के लिए नौकरी के अवसर और कम हो जाएंगे। विभागीय आंकड़ों की मानें तो पांच साल में प्रदेश में तकरीबन ढाई लाख बीटीसी डिग्रीधारी नौकरी की लाइन में खड़े होंगे जबकि नौकरी के अवसर 70 से 75 हजार ही होंगे। उस पर नये बीटीसी कालेजों का खुलना अभी जारी है। माध्यमिक व बेसिक शिक्षा के पूर्व निदेशक कृष्णमोहन त्रिपाठी का कहना है कि बीटीसी सहित दूसरे रोजगारपरक कोर्स को लेकर अभ्यर्थियों की जरूरत व प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों की संख्या में संतुलन होना चाहिए।
बीटीसी की तस्वीर
निजी कालेजों की संख्या : 700
निजी कालेजों में सीटें : 35,000
डायट में सीटें : 14,450
कुल सीटें : 49,500
सालाना खाली होते पद: 15,000
5 साल में नौकरी अवसर : 75,000
तब तक अभ्यर्थी होंगे : 2,47,500
टीईटी का स्पीड ब्रेकर
प्राथमिक व जूनियर शिक्षकों की नियुक्ति अर्हता में पात्रता परीक्षा टीईटी लागू कर दिए जाने से बीटीसी अर्हता धारी अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बीटीसी अभ्यर्थी के लिए भी टीईटी क्वालीफाई होना जरूरी है। टीईटी क्वालीफाई बीएड भी नौकरी के लिए अर्ह माने जा रहे हैं इसलिए बीटीसी बेरोजगारों का ग्राफ चढ़ना तय है।