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अस्पतालों में तब डॉक्टर थे न दवाएं, सिर्फ थीं अनियमितताएं

डॉक्टरों के 40 फीसद पद खाली थे, जबकि पिछली सरकार ने न तो इन पदों को भरने की योजना बनाई और न इसके लिए सार्थक प्रयास किए। अस्पतालों में दवा खरीद भ्रष्टाचार की चपेट में थी।

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 19 Sep 2017 03:36 PM (IST)Updated: Tue, 19 Sep 2017 03:38 PM (IST)
अस्पतालों में तब डॉक्टर थे न दवाएं, सिर्फ थीं अनियमितताएं
अस्पतालों में तब डॉक्टर थे न दवाएं, सिर्फ थीं अनियमितताएं

लखनऊ (जेएनएन)। छह महीने पुरानी भाजपा सरकार का सोमवार को जारी श्वेत पत्र बताता है कि सपा सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं के इंतजाम बुुरी तरह ध्वस्त थे। पिछली सरकार के दौरान अस्पतालों में न पर्याप्त डॉक्टर थे और न ही दवा मिलने की ठीक व्यवस्था थी। बिना काम कराए भुगतान किए जा रहे थे, जबकि कई अन्य गड़बडिय़ों और अनियमितताओं ने भी पूरे सिस्टम को पटरी से उतार रखा था।

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श्वेत पत्र में भाजपा सरकार ने बताया है कि मार्च में जब उसके हाथ में कमान आई तो प्रदेश में चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमराई हुई थीं। डॉक्टरों के 40 फीसद पद खाली थे, जबकि पिछली सरकार ने न तो इन पदों को भरने की योजना बनाई और न इसके लिए सार्थक प्रयास किए। अस्पतालों में दवा खरीद भ्रष्टाचार की चपेट में थी। लोगों को घटिया दवाएं मिल रही थीं या बिना दवाओं के लौटना पड़ रहा था। अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन व एमआरआइ सुविधा की कमी थी, जबकि केंद्र सरकार से सुविधा होने के बाद भी एएलएस एंबुलेंस नहीं लाई गईं थी।


उधर राजकीय मेडिकल कॉलेजों में भी मानक के अनुरूप शिक्षक और आवश्यक उपकरण न होने से चिकित्सा शिक्षा कई वर्ष से खासी प्रभावित थी। कई जगह मेडिकल कॉलेेजों के भवन तो बना दिए गए लेकिन, न शिक्षक नियुक्त हुए न जरूरी संसाधन जुटाए गए। इससे शासन का पैसा तो खर्च हुआ पर लोगों को लाभ नहीं मिला। मेडिकल कॉलेजों में भी नए शिक्षकों को अवसर देने की बजाए मनचाहे लोगों को सेवा विस्तार दे दिया गया।

इसी तरह एनआरएचएम के सीएजी ऑडिट में सामने आया कि आकलन व उपभोग प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना ही पैकफेड व जल निगम को सैकड़ों करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया, जबकि बिना जमीन मिले ही भवन निर्माण की रकम खपा दी गई। इसी तरह योजनाओं के निर्माण कार्य, उपकरणों की खरीद और साज-सज्जा तक में भारी अनियमितताएं हुईं, जिस पर न्यायालय को संज्ञान लेकर सीबीआइ जांच तक का आदेश करना पड़ा।
 


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