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कभी हम साया रहे पदम सिंह ने भी छोड़ा बसपा सुप्रीमो मायावती का साथ

मायावती की सैंडिल साफ करते कैमरे में कैद हुए पदम सिंह ने लखनऊ में परसों भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। पदम सिंह ऐसे शख्स हैं कि जो कभी किसी राजनीतिक दल में नहीं रहे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2016 09:53 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 06:16 PM (IST)

लखनऊ (वेब डेस्क)। नेताओं के बाद हमेशा साया की तरह बहुजन समाज पार्टी की मुखिया के इर्द-गिर्द रहने वाले सेवानिवृत डिप्टी एसपी पदम सिंह ने भी बसपा सुप्रीमो का साथ छोड़ दिया है। करीब बीस वर्ष तक साया बनकर मायावती के साथ रहे पदम सिंह अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।

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मायावती की सैंडिल साफ करते कैमरे में कैद हुए पदम सिंह ने लखनऊ में परसों भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।

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पदम सिंह ऐसे शख्स हैं कि जो कभी किसी राजनीतिक दल में नहीं रहे। पूर्व डीजीपी बृजलाल के बाद पदम सिंह ऐसे पूर्व पुलिस अधिकारी हैं जो कि मायावती के बेहद करीब होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।

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राष्ट्रपति के हाथों वीरता पुरस्कार पाने वाले पदम सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ ही कल्याण सिंह के भी निजी अंगरक्षक रहे थे। लखनऊ में परसों स्वामी प्रसाद मौर्य की रैली में पदम सिंह ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तथा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता हासिल की।

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पदम सिंह मायावती के सबसे विश्वस्त अधिकारी माने जाते थे। वैसे सियासी दलों में बड़े नेताओं के अंगरक्षकों के शामिल होने फिर उनके सांसद या विधायक होने की परंपरा भी पुरानी है। पदम सिंह आगरा के रहने वाले हैं और जाटव जाति से होने के कारण उनका भारतीय जनता पार्टी में में शामिल होना खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। फिलहाल वह कानपुर में रहते हैं।

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पदम सिंह सब-इंस्पेक्टर थे और 1987 में कानपुर में एयरपोर्ट की सुरक्षा में तैनात रहे। इसी तैनाती के दौरान वह सियासी नेताओं के करीबी होते चले गए। मायावती से पहले पदम सिंह एनडी तिवारी की सुरक्षा के अलावा भाजपा के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह और बाद में मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा में भी तैनात रहे।

पदम सिंह को लखनऊ में 3 जून 1995 को गेस्ट हाउस कांड के बाद मायावती की सुरक्षा में लगाया गया। इसके बाद से वह लगातार 2012 तक मायावती के साथ सुरक्षा में तैनात रहे। जाटव होने के कारण वह मायावती के भी करीबी हो गए। चंद दिनों में ही वह मायावती के निजी सुरक्षा अधिकारी भी बन गए। बसपा सरकार में वह डीएसपी रहते हुए मायावती की जूती पोंछने के कारण विवादों में रहे थे।

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सुरक्षा अधिकारी पदम सिंह तो मायावती के परिवार के सदस्य की तरह थे। उनकी यह करीबी बहुजन समाज पार्टी के कई बड़े नेताओं को बेहद अखरती थी। पदम सिंह मायावती के सुख में और दु:ख में हमेशा साथ रहे। मायावती क्या चाहती हैं, यह पहले पदम् जान लेते थे। मायावती जब गुस्से में होती थीं और बीएसपी के बड़े से बड़े नेता भी मौन हो जाते थे, तब भी पदम सिंह अपनी बात कह लेते थे। उनका जलवा ऐसा था कि बड़े अफसर उनकी कृपा को तरसते थे।

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पदम सिंह ने तो मायावती की जूती तक साफ की थी। मायावती उन दिनों यूपी की मुख्यमंत्री थीं। हेलीकॉप्टर से उतरते समय उनकी जूती गंदी हो गयी थी तब पदम् सिंह ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और पोंछ दिया। पदम् को आज भी इस बात का कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा एक सिक्योरिटी अफसर होने के नाते ऐसा करना तो मेरा फर्ज था।

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भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले पदम सिंह ने कहा कि बसपा में तो अब सतीश मिश्र ही सब कुछ हैं। पदम सिंह के अलावा पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी समेत बसपा के कई नेताओं ने परसों लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान के मंच से भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर दिया। बसपा सरकार में मंत्री रहे सहारनपुर के सैनी के साथ बुंदेलखंड के ललितपुर से बसपा विधायक रमेश कुशवाहा भाजपा में शामिल हो गए। इन सभी नेताओं के पार्टी में शामिल होने की घोषणा स्वामी प्रसाद मौर्य ने की।

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बसपा छोड़कर भाजपा में आने का पदम सिंह का अब मायावती से मन खिन्न हो जाना माना जा रहा है। मायावती को बहन मानने वाले पदम सिंह के पास आज भी दो दर्जन से अधिक राखी के धागे हैं, जिनको मायावती ने बांधा था।

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चार साल पहले रिटायर होने के बाद से पदम सिंह का कोई अता पता नहीं था कुछ दिनों तक वह बसपा मुखिया के साथ देखे गए। इसके बाद अचानक गायब हो गए। पदम को लगा कि रिटायर होने के बाद उनकी 'सेवा' के बदले मायावती उन्हें एमएलसी बना देंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ फिर वे वापस अपने घर आगरा चले गए और अब स्वामी प्रसाद मौर्या की मदद से बीजेपी में चले आये। इससे पहले पदम सिंह ने कांशीराम की बामसेफ की सदस्या ग्रहण की थी।


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