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आरक्षित सीटों पर मोदी की नजर

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश की 17 आरक्षित संसदीय क्षेत्रों पर भाजपा की निगाह है। अधिक से अधिक

By Edited By: Published: Tue, 08 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 08 Apr 2014 01:00 AM (IST)

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश की 17 आरक्षित संसदीय क्षेत्रों पर भाजपा की निगाह है। अधिक से अधिक सीटों पर केसरिया फहराने की रणनीति के तहत नरेंद्र मोदी की सभाएं कराने की तैयारी है। पार्टी नेतृत्व को भरोसा है कि गत लोकसभा चुनाव में दो आरक्षित सीटों पर मिली जीत के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। मोदी लहर के चलते ही इन क्षेत्रों में दलित वोटों के अलावा पार्टी अगड़े व अतिपिछड़े वर्ग को जोड़ने की कोशिश में जुटी है।

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नरेंद्र मोदी ने यूपी में अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत आरक्षित सीट बुलंदशहर से की। अनुसूचित मोर्चा के महामंत्री दिवाकर सेठ का दावा है कि दलितों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। इस बार चुनाव नतीजे चौंकाने वाले होंगे। बुलदंशहर आरक्षित सीट पर भाजपा को कल्याण की वापसी का भरपूर लाभ मिलेगा। जीत सुनिश्चित करने को भाजपा ने बाहरी नेताओं को उतारने में कोताही नहीं बरती। मोहनलालगंज सीट पर कौशल किशोर और नगीना से यशवंत सिंह को टिकट दे चुनावी मुकाबले को कांटे का बना दिया है। पूर्व विधायक कौशल किशोर की मोहनलालगंज में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

बासगाव सीट पर कमलेश पासवान को 2009 में मिली जीत को दोहराने की उम्मीद है लेकिन आगरा सीट पर रामशंकर कठेरिया की राह में स्थानीय महापौर की बगावत ने कांटे बिछाए हैं। बहराइच सीट पर विधायक सावित्री बाई फूले को उतार कांग्रेस के सांसद कमल किशोर को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की। पूर्व विधायक मुंशीलाल गौतम का कहना है कि 17 आरक्षित सीटों मे से आधे से अधिक भाजपा के पास होगी।


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