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योग दिवसः मोदी ने लखनऊ में किया सत्ता के विस्तार का योग

मोदी यूं तो योग के जरिये तन और मन को जोडऩे की भूमिका में थे, पर यह अध्याय सत्ता के विस्तार का नया उपक्रम लगा।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 01:04 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 01:04 PM (IST)
योग दिवसः मोदी ने लखनऊ में किया सत्ता के विस्तार का योग
योग दिवसः मोदी ने लखनऊ में किया सत्ता के विस्तार का योग

लखनऊ [आनन्द राय]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ के दो दिवसीय दौरे में कोई राजनीतिक बात तो नहीं की लेकिन, सत्ता के विस्तार का योग जरूर किया। तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए लखनऊ का चयन कर उन्होंने यहां से अपने रिश्ते को और मजबूती दी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए उनका आभार जताकर इस भावना में एक और कड़ी जोड़ दी। मोदी के प्रवास में विकास और सेहत ही अहम मुद्दे थे पर, इसके पीछे सियासी योग भी साफ नजर आया। मोदी यूं तो योग के जरिये तन और मन को जोडऩे की भूमिका में थे, पर यह अध्याय सत्ता के विस्तार का नया उपक्रम लगा।

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मोदी 2014 में उप्र में भाजपा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बरकरार रखने की चुनौती खुद स्वीकार कर चुके हैं। यह अलग बात है कि सहयोगी दलों समेत 73 सांसदों की उनकी यूपी टीम उतनी गंभीर नहीं है। इसीलिए समय-समय पर मोदी उन सांसदों को चेताते रहे हैं। मोदी 2017 में छह माह के भीतर लखनऊ की तीसरी बार की यात्रा में बिना कहे अपने इरादे जाहिर कर दिए। दो जनवरी को वह सत्ता परिवर्तन का नारा लेकर आए थे। 15 वर्षों से बसपा और सपा के कुशासन से प्रदेश को मुक्त कराने का उनका आह्वान था और संयोग था कि जिस रमाबाई अंबेडकर मैदान में वह योग करने आए, उसी मैदान से उन्होंने सत्ता परिवर्तन का एलान किया था।

फिर 19 मार्च को वह एक तरह से अपने दम से बनाई प्रदेश की भाजपा सरकार को स्थापित करने आए थे। यह मोदी का ही करिश्मा था कि उन्होंने 15 वर्षों में लगातार बन रही बसपा और सपा सरकारों का क्रम तोड़ दिया। तीसरी बार की यात्रा में उनके मन में उत्तर प्रदेश की बीमारी थी। मंगलवार को अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी में उद्बोधन में मोदी ने साफ कहा कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की बीमारी दूर कर रहे हैं। दिलचस्प यह कि उन्होंने किसी राजनीतिक दल पर कोई हमला नहीं बोला, बल्कि जीएसटी के मुद्दे पर विपक्ष की सराहना ही की।

सराहना करते समय उन्होंने अपने इरादे भी जाहिर नहीं किए लेकिन, आने वाले राष्ट्रपति चुनाव से इसके तार जुड़े नजर आए। यह माना गया कि राष्ट्रपति चुनाव में सभी के समर्थन की यह उनकी पहल थी। मुख्यमंत्री आवास की डिनर डिप्लोमेसी को भी इसी नजरिए से देखा गया। भले ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के अलावा विपक्ष का कोई वहां नहीं गया लेकिन, मोदी ने योगी सरकार से सबको आमंत्रण भिजवाकर बड़ा दिल दिखाया। मोदी के लखनऊ आने से ठीक एक दिन पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया। कोविंद उत्तर प्रदेश के ही निवासी हैं और एक दलित परिवार में पैदा हुए हैं।

मोदी का योग महोत्सव उसी रमाबाई अंबेडकर पार्क में आयोजित किया गया जहां से भाजपा दलित एजेंडे को धार देने में आगे बढ़ी थी। साफ है कि मोदी इस यात्रा में भविष्य के कई संकेत छिपाए हुए थे। जिस तरह मोदी सबको छोड़कर बच्चों के बीच योग के लिए गए और आमजन से हाथ मिलाते हुए वापस लौटे उससे उनका जुड़ाव जाहिर हुआ। लगा कि मोदी बहुत ही उम्दा तरीके से 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान का श्रीगणेश कर रहे हैं।  


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