Coronavirus: इम्युनो सप्रेशन दवा की कम डोज, ट्रांसप्लांट मरीजों के लिए बनेगी सुरक्षा कवच
कोरोना से बचाव के लिए चिकित्सा विज्ञानियों ने दिया सुझाव। ट्रांसप्लांट के मरीज हाई रिस्क ग्रुप में हैं। इन पर कोरोना का खतरा अधिक है।
लखनऊ, (संदीप पांडेय)। ट्रांसप्लांट के मरीज हाई रिस्क ग्रुप में हैं। इन पर कोरोना का खतरा अधिक है। कारण, इम्युनो सप्रेशन की डोज देना है। लंबे समय तक प्रतिरोधक क्षमता कम करने वाली दवा से शरीर संक्रमण की चपेट में जल्द आ सकता है। लिहाजा, चिकित्सा विज्ञानियों ने ट्रांसप्लांट के मरीजों में इम्युनो सप्रेशन की दवा कम करने का सुझाव दिया।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर राम धयाल के मुताबिक अमेरिका के डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट के मरीजों में कोरोना के प्रभाव पर शोध िकिया। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक मोंटेफोर मेडिकल सेंटर न्यूयार्क में 36 किडनी ट्रांसप्लांट के मरीज भर्ती किए गए। इसमें 26 पुरुष व 10 महिलाएं रहीं, जिनमें कोरोना वायरस मिला । 32 से 77 वर्ष आयु वाले इन मरीजों की मृत्यु कोरोना के अन्य मरीजों से अधिक पाई गई। इसका कारण इम्युनो सप्रेशन की दवा की डोज अधिक होना रहा। ऐसे में लोहिया संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट के मरीजों में दवा का डोज कम कर िदिया गया है।
क्यूं दी जाती है यह डोज
प्रत्यारोपण के मरीज में दूसरे व्यक्ति का अंग लगाया जाता है। वहीं मरीज के शरीर में दूसरे का अंग होने पर प्रतिक्रियाएं होती हैं। इससे ऑर्गन ट्रांसप्लांट फेल हो सकता है। लिहाजा, मरीज में इम्युनो सप्रेशन की लंबे समय तक दवा चलती है। इससे मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है । वहीं लगाया गया अंग शरीर में सक्रिय हो जाता है। इस दरम्यान मरीज में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
क्या मििला शरीर पर प्रभाव
डॉ. ईश्वर राम धयाल के मुताबिक शोध में ट्रांसप्लांट के मरीजों में कोरोना होने पर हल्का बुखार पाया गया। उनमें दस्त की शिकायत मिली । वहीं सीडी थ्री, सीडी फोर, सीडी एट काउंट कम पाए गए। यह काउंट रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर में कम होने से घटते हैं। इसमें सीडी थ्री काउंट 68 फीसद, सीडी फोर काउंट 71 फीसद व सीडी एट काउंट 29 फीसद में कम मिले । इसके अलावा 43 फीसद में प्लेटलेट काउंट में मिले।