ऊना दलित कांड पर मायावती ने कहा, गुजरात में गरीबों का सम्मान से जीना मुश्किल
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ऊना दलित कांड और गरीबों, दलितों व अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान को मुद्दा बनाकर कहा कि गुजरात में कमजोर का जीना मुश्किल है।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब ऊना दलित कांड और गरीबों, दलितों व अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान को मुद्दा बनाते हुए इस साल गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों पर निशाना साधा है। वहां आत्मसम्मान के साथ कमजोर वर्ग के लोगों का जीना मुश्किल होने का दावा करते हुए मायावती ने कहा कि गुजरात के मजलूम यदि एकजुट होकर चुनाव लड़ें तो भाजपा जैसी जातिवादी व सांप्रदायिक पार्टी को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। बसपा प्रमुख ने 10 मई को उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है।
बसपा ने उत्तर प्रदेश के पार्टी संगठन में जरूरी फेरबदल करने के बाद शुक्रवार से दूसरे राज्यों की समीक्षा बैठक शुरू की। वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक में गुजरात में इस वर्ष होने वाले विधानसभा आम चुनाव को देखते हुए पार्टी ने वहां संगठन की गतिविधियां और जनाधार बढ़ाने को लेकर चर्चा की। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि ऊना दलित उत्पीडऩ कांड के बाद गुजरात के दलितों में स्वाभिमान के साथ जो राजनीतिक चेतना जगी है, उससे वहां के दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़ों का जीवन स्तर बेहतर हो सकता है। मायावती ने कहा कि आदिवासी समाज की उपेक्षा व शोषण रोकने के लिए वैसा ही संघर्ष करना होगा, जैसे पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की लड़ाई लड़ी गई थी।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि गुजरात में दलित, आदिवासी समाज और अन्य गरीब दयनीय हालत में हैं। उन्होंने कहा कि वहां पूंजीपतियों व धन्नासेठों का बोलबाला है। सामाजिक ताना-बाना भी बिगड़ा हुआ और विचलित करने वाला है। धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के लोगों के साथ जबरदस्त भेदभाव है और उन्हें किसी स्तर पर इंसाफ नहीं मिल पा रहा है।