उत्तर प्रदेश में सितंबर-अक्टूबर में होंगे नगरीय निकाय चुनाव
सरकार के ढीले रुख को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग भी मान रहा है कि जून-जुलाई में चुनाव कराना संभव नहीं है। आयोग बरसात बाद सितंबर में अधिसूचना जारी कर अक्टूबर में चुनाव कराएगा।
लखनऊ [अजय जायसवाल] । उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय (नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत) चुनाव अब सितंबर-अक्टूबर में होंगे। मौजूदा परिस्थितियों को तमाम पहलुओं से अनुकूल न मानते हुए राज्य सरकार चुनाव टालने के लिए फिलहाल तैयारियों को लेकर ढुलमुल रवैया अपनाए हुए है।
सरकार के ढीले रुख को देखते हुए राज्य निर्वाचन आयोग भी अब मान रहा है कि जून-जुलाई में चुनाव कराना संभव नहीं है। ऐसे में आयोग अब बरसात बाद सितंबर में अधिसूचना जारी कर अक्टूबर में चुनाव कराएगा। दरअसल, मौजूदा नगरीय निकायों का कार्यकाल 15 जुलाई से खत्म हो रहा है। ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग को उससे पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने को राज्य सरकार को अब तक परिसीमन, रैपिड सर्वे, महापौर-अध्यक्ष से लेकर पार्षद-सदस्य पद के आरक्षण का काम कर लेना चाहिए था। पूर्व में तय शेड्यूल के मुताबिक सीटों के आरक्षण के संबंध में 14 तक आदेश भी हो जाना चाहिए था लेकिन स्थिति यह है कि पिछले दस दिनों से इस दिशा में कोई काम ही नहीं हो रहा है।
इस बीच 20 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मतदाता सूची के साथ परिसीमन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जांच कराकर दुरुस्त कराए जाने के एलान से बिल्कुल साफ हो गया है कि आयोग फिलहाल निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने की स्थिति में नहीं रहेगा क्योंकि जब तक सरकार परिसीमन व पदों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करके ब्योरा नहीं उपलब्ध कराएगी तब तक आयोग चुनाव की अधिसूचना ही नहीं कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक नवगठित मथुरा-वृंदावन व अयोध्या-फैजाबाद नगर निगम के परिसीमन के साथ ही मौजूदा निकायों के परिसीमन व रैपिड सर्वे की गड़बडिय़ां दूर करके नए सिरे से आरक्षण की प्रक्रिया पूरी करने में लगभग दो माह यानी जून-जुलाई गुजरेगा।
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उल्लेखनीय है कि पांच वर्ष पहले निकाय चुनाव के लिए आयोग ने 25 मई को अधिसूचना जारी कर चार चरणों में मतदान के बाद सात जुलाई को मतगणना करायी थी। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल का कहना है वैसे तो आयोग, चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन सरकार के स्तर पर तैयारियां पूरी न होने से अभी चुनाव की अधिसूचना नहीं हो सकती है।
अग्रवाल ने कहा कि इधर चुनाव टलने पर अगस्त-सितंबर में बारिश के चलते चुनाव नहीं कराएंगे। ऐसे में सितंबर में चुनाव की अधिसूचना जारी कर अक्टूबर के खुशनुमा मौसम में तीन चरणों में मतदान और मतगणना करायी जाएगी।
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अभी चुनाव नहीं चाहती सरकार
परिसीमन व मतदाता सूची में गड़बड़ी की बात को मुख्यमंत्री ने यूं ही नहीं उठाया है। उन्हें लगता है कि पिछले दिनों जब परिसीमन हो रहा था तब ज्यादातर जिलों में डीएम व अन्य अधिकारी, सपा सरकार में तैनाती पाने वाले ही थे। ऐसे कई अफसरों ने सपा नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए उनके हिसाब से परिसीमन किया है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा सरकार को वर्तमान में अपने पक्ष में निकाय चुनाव का माहौल भी कई अन्य कारणों के कारण भी नहीं लग रहा है इसलिए वह खुद भी अभी चुनाव नहीं कराना चाहती है।
भाजपा को लगता है कि जून की भीषण गर्मी में शहरी मतदाता कम ही घर से बाहर निकलेंगे जिसका सर्वाधिक नुकसान उसे ही होगा। उल्लेखनीय है कि गर्मी में अन्य मौसम के मुकाबले 10 फीसद तक मतदान कम होता रहा है। कानून-व्यवस्था से जुड़ी हाल की घटनाओं से खासतौर से शहरी क्षेत्र के मतदाताओं में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है, जिसका खामियाजा भाजपा को निकाय चुनाव में होने की आशंका है। इसी तरह अभी चुनाव कराने पर नवगठित मथुरा व अयोध्या का चुनाव नहीं हो सकता क्योंकि अभी इन दोनों निगमों के परिसीमन का काम ही पूरा नहीं हो सका है जबकि भाजपा के लिए दोनों ही नगर निगम काफी अहम हैं।
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भाजपा सरकार को कहीं से यह भी लग रहा है कि अभी थाने से लेकर तहसील के निचले स्तर तक के अधिकारी-कर्मचारी पिछली सपा सरकार के ही है जो अंदर ही अंदर सपा के पक्ष में गड़बड़ी भी कर सकते हैं। भाजपा को यह भी लगता है कि उसके कार्यकर्ता अभी विधानसभा चुनाव की थकान नहीं मिटा सके हैं इसलिए इधर गर्मी में चुनाव न होने पर वह बाद में पूरी ताकत के साथ निकाय चुनाव में जुट सकेंगे जिसका फायदा उसे मिलेगा।
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चुनाव टलने के पांच कारण
1. - भीषण गर्मी में कम मतदान का खामियाजा
2. - बिगड़ी कानून-व्यवस्था से नुकसान की आशंका
3. - निचले स्तर पर पिछली सरकार के अफसरों-कर्मियों का बना रहना
4. - विधानसभा चुनाव में थके भाजपा कार्यकर्ताओं को आराम देना
5. - अयोध्या व मथुरा नगर निगम का चुनाव भी सभी के साथ कराना।