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लश्कर और आइएम से जुड़ा आइएसआइ का खास सलीम पतला

-यूपी की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ मेरठ का आतंकी -जम्मू-कश्मीर से यूपी और दिल्ली में करा

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 07:16 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 07:16 PM (IST)

-यूपी की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ मेरठ का आतंकी

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-जम्मू-कश्मीर से यूपी और दिल्ली में कराता था आतंकियों की एंट्री

-आतंकियों को छिपाने और नक्शे उपलब्ध कराने में भूमिका

-मुरादाबाद की एकता विहार कालोनी से दबोचा गया आतंकी

-मेरठ पीएसी कैंप समेत कई धमाकों में शामिल होने की स्वीकारोक्ति

-खतरनाक सलीम के पास से फर्जी आईडी और मोबाइल बरामद

-आतंकी 12 सिंतबर को बिजनौर में बम विस्फोट से जुड़ा

लखनऊ। लश्कर और आइएम जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा मेरठ पीएसी बम धमाके का वांछित आतंकी सलीम पतला आइएसआइ के लिए यूपी में खास मुखबिर बनकर काम कर रहा था। कश्मीर से लेकर दिल्ली और यूपी के ज्यादातर शहरों की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ सलीम की जिम्मेदारी बाहर से आने वाले आतंकियों को छिपाने की थी। वारदात को अंजाम देने के लिए सलीम ही ज्यादातर जानकारी देता था। इसके कई सबूत एटीएस को मिल गए हैं।

मेरठ के लिसाड़ी गेट निवासी आतंकी सलीम पतला की गिरफ्तारी के बाद एटीएस कई बिंदुओं पर काम कर रही है। प्रारंभिक जांच पड़ताल में साफ हो गया है कि मेरठ पीएसी कैंप पर 26 जनवरी 93 को बम विस्फोट के बाद उसकी धरपकड़ के लिए तेजी बरती गई तो वह भूमिगत हो गया। कुछ समय बाद सलीम ने मुरादाबाद में पनाह ली और करीब 21 साल वहीं गुजार दिए।

एटीएस सूत्रों के अनुसार सलीम का कोई भी फोटो पुलिस या खुफिया एजेंसियों के पास नहीं होना उसके लिये ढाल बना था। सलीम को आईएसआई ने अपना खास मुखबिर बनाकर यूपी में ही रहने का निर्देश दिया। इसके बाद सलीम का काम केवल सैन्य ठिकानों, सरकार से जुड़ी जानकारी और सुरक्षा संबंधित जानकारी आइएसआइ को पहुंचाने का हो गया था। इसी दौरान सलीम ने चोरी की गाड़ियों की सप्लाई कश्मीर में करनी शुरू कर दी। इससे उसे कश्मीर, दिल्ली, चंडीगढ़ समेत यूपी के कई शहरों की भौगोलिक स्थिति को जानने का मौका मिला।

इसके बाद आइएसआइ की कृपा बढ़ी तो वह आइएसआइ द्वारा भेजे गए आतंकियों सही सलामत दिल्ली और मेरठ तक लाने लगा। इन आतंकियों के यूपी में रूकने और उन्हें पूरी भौगोलिक स्थिति की जानकारी देने का जिम्मा भी उसका ही था। किसी भी वारदात के लिए सामान जुटाने, बम बनाने और नक्शा उपलब्ध कराने जैसे काम भी वही किया करता था। एटीएस जानकारी जुटा रही है कि आतंकी कितनी बार और कब-कब कश्मीर गया था। मोबाइल की कॉल डिटेल भी खंगाली जा रही है।


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