Move to Jagran APP

सीरियल ब्लास्ट आरोपी खालिद की मौत पर हाईकोर्ट ने जानकारी मांगी

उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ, फैजाबाद कचहरियों में सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की अभिरक्षा में मौत के मामले में जानकारी मांगी है। मौत की जांच की मांग वाली याचिका पर अदालत ने जानना चाहा है कि जांच के मामले में सीबीआइ का क्या पक्ष है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 10:32 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2015 10:41 PM (IST)
सीरियल ब्लास्ट आरोपी खालिद की मौत पर हाईकोर्ट ने जानकारी मांगी

लखनऊ। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने लखनऊ, फैजाबाद कचहरियों में सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की अभिरक्षा में मौत के मामले में जानकारी मांगी है। मौत की जांच की मांग वाली याचिका पर अदालत ने जानना चाहा है कि जांच के मामले में सीबीआइ का क्या पक्ष है। मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को नियत की गई है। पीठ ने नये सिरे से जानकारी प्राप्त कर अदालत को अवगत कराने को कहा है। न्यायमूर्ति अजय लाम्बा व न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खां की खण्डपीठ ने याची जहीर अहमद फलाही की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को यह आदेश दिए हैं। याचिका में कहा गया कि वर्ष 2007 में लखनऊ, फैजाबाद और वाराणसी कचहरियों में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसमें हूजी के कथित आंतकी खालिद मुजाहिद को आरोपी बनाया गया था। 18 मई 2014 को जब पुलिस पेशी के बाद खालिद मुजाहिद को फैजाबाद से लखनऊ ला रही थी तो रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। याचिका प्रस्तुत कर खालिद मुजाहिद की मौत की सीबीआइ जांच की मांग की गई है। अदालत ने इस मामले में जानकारी प्राप्त कर अदालत को अवगत कराने को कहा है।

loksabha election banner

एक बार फिर बढ़ी पुलिस की बेचैनी

लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद में वर्ष 2007 के सीरियल बम विस्फोट में शामिल हरकत -उल-जेहाद अल-इस्लामी (हूजी) के आतंकी तारिक कासमी को बाराबंकी की विशेष अदालत ने गुरुवार को आजीवन कारावास और डेढ़ लाख रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। इस फैसले के पांचवें दिन उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने तारिक के साथ गिरफ्तार खालिद मुजाहिद के मामले में जानकारी तलब कर एक बार फिर पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है।

असल में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सीबीआइ जांच के सिलसिले में जानकारी चाही है। हकीकत यह है कि 18 मई को खालिद मुजाहिद की पुलिस अभिरक्षा में मौत के अगले ही दिन राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी लेकिन केंद्र ने इसकी अनदेखी कर दी। उधर, बाराबंकी कोतवाली में खालिद की मौत के संदर्भ में उसके परिवारीजनों की तहरीर पर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, बृजलाल समेत 42 अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। राज्य सरकार की सिफारिश के करीब दस दिन बीत जाने के बावजूद जांच न शुरू होने के बाद पता चला कि जांच की सिफारिश का सही प्रोफार्मा केंद्र को नहीं मिला। सिफारिश के साथ मुकदमे की वह प्रति भी नहीं भेजी गयी, जिसमें पुलिस अफसरों पर हत्या और हत्या के षड्यंत्र का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके बाद गृह विभाग ने पुन: मसौदा भेजा लेकिन सीबीआइ जांच शुरू नहीं हुई। अब अदालत में मामला जाने के बाद सीबीआइ जांच शुरू होने का अंदेशा है। अगर सीबीआइ जांच शुरू हुई तो जाहिर है कि सामान्य प्रक्रिया में भी पुलिस अफसरों से पूछताछ होगी और उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। हालांकि ध्यान रखने की बात यह है कि जहर देकर खालिद के मारे जाने का अंदेशा प्रकट किया गया था जबकि खालिद की विसरा रिपोर्ट में जहर से मरने की पुष्टि नहीं हुई। विधि विज्ञान प्रयोग शाला लखनऊ के निदेशक और विष विज्ञान के उपनिदेशक की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि उसकी मौत जहर से नहीं हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.