काशी में मोक्ष का सारथी बनेगा गुजरात
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उनका गृह राज्य गुजरात, मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में मिलने वाले मोक्ष में सारथी बनने जा रहा है। इस निमित्त पहले तो काशी के दोनों महाश्मशानों मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट की पिछले डेढ़ माह में साफ-सफाई कर कायाकल्प किया गया, अब शवों
लखनऊ। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से उनका गृह राज्य गुजरात, मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में मिलने वाले मोक्ष में सारथी बनने जा रहा है। इस निमित्त पहले तो काशी के दोनों महाश्मशानों मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट की पिछले डेढ़ माह में साफ-सफाई कर कायाकल्प किया गया, अब शवों को महाश्मशान तक पहुंचाने के लिए सूरत से स्टीमर भेजे गए हैं। इस कवायद से शवयात्रा को शहर की भीड़, जाम से बचाते हुए सीधे महाश्मशान तक जल मार्ग से पहुंचाया जा सकेगा। इसी वजह से स्टीमर को नाम दिया गया है 'जल शव वाहिनी'।
ज्ञात हो कि पीएम मोदी की प्रेरणा से सूरत की संसदीय सीट नौसाड़ी से सांसद चुने गए सीआर पाटिल ने सीधे काशी के महाश्मशानों का जिम्मा संभाला। वह बीच-बीच में गुजरात से काशी आते हैं और यहां चल रही गतिविधियों के बाबत दिशा-निर्देश भी देते हैं। महाश्मशान तक सुगम यातायात के लिए दो स्टीमर मंगलवार को काशी पहुंच गए। चार स्टीमर और आने हैं। सूत्र बताते हैं कि 28 मार्च को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के हाथों इस नि:शुल्क जल शव वाहिनी सेवा का लोकार्पण करवाया जाएगा। पखवारे भर में टोल फ्री नंबर भी जारी होना है। इतना ही नहीं, शीघ्र ही सूरत से छह शव वाहन भी आने हैं जिनका नाम रखा गया है थल शव वाहिनी। टोल फ्री नंबर पर परिजन फोन कर शवयात्रा के लिए स्टीमर या वाहन मंगा सकेंगे।
दोनों छोर से संचालन
जल शव वाहिनी स्टीमरों का संचालन करने के लिए बेहतरीन योजना भी बनाई गई है। एक स्टीमर भैंसासुर घाट जबकि दूसरा होगा सामने की ओर रेती पार। इसी तरह से एक स्टीमर सामनेघाट होगा तो दूसरा रामनगर छोर पर। शेष दो स्टीमर राजघाट और विश्वसुंदरी पुल के दोनों तरफ के दस-दस किलोमीटर के तटवर्ती इलाकों की सेवा के लिए उपलब्ध होंगे। तात्पर्य यह कि काशी में शवदाह के लिए किसी भी छोर से कोई आए, उसे शहर की भीड़ को झेले बिना सीधे महाश्मशान तक पहुंचाया जाएगा। इस आवागमन की पूरी सेवा होगी, एकदम नि:शुल्क।