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बदला है राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया : राम नाईक

नाईक बताते हैं कि अखिलेश सरकार के दौरान लोग संकोच से भरे हुए मेरे पास आते थे कि शायद सरकार मेरी (राज्यपाल) बात न सुने। अब लोगों में मेरा विश्वास बढ़ा है कि मिलने पर अच्छा ही होगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 10:39 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 11:42 AM (IST)
बदला है राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया : राम नाईक
बदला है राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया : राम नाईक

लखनऊ [अजय जायसवाल]। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की इतनी सक्रियता 83 वर्ष से भी अधिक उम्र में भी आश्चर्य में डालती है। सूबे के राज्यपाल राम नाईक का लगातार व्यस्त रहना उनकी प्रवृत्ति है और उन्हें सुर्खियों में रखता है। 

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यह उनकी ही सोच है कि राजभवन तक आज आम आदमी की भी पहुंच है। खुद वह बेबाक राय देने में यकीन रखते हैं और यही वजह है कि यह कहने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती कि योगी सरकार बनने से राजभवन के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। नाईक बताते हैं कि अखिलेश सरकार के दौरान लोग संकोच से भरे हुए मेरे पास आते थे कि शायद सरकार मेरी (राज्यपाल) बात न सुने। अब लोगों में मेरा विश्वास बढ़ा है कि मिलने पर अच्छा ही होगा। कार्यकाल के पौने तीन वर्ष में समाजवादी पार्टी की सरकार को कई बार परेशानी में डालने वाले नाईक यह भी स्वीकारते हैं कि उनके और अखिलेश यादव के संबंध मधुर रहे हैं। 

राज्यपाल राम नाईक न तब सूबे की कानून-व्यवस्था की स्थिति से संतुष्ट थे और न ही अब योगी आदित्यनाथ की सरकार में। वह कहते हैं कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था में अभी और सुधार की जरूरत है। राज्यपाल की कुर्सी संभालने के तीन वर्ष होने पर राम नाईक से दैनिक जागरण के राज्य ब्यूरो प्रमुख ने खास बातचीत की। 

प्रस्तुत है प्रमुख अंश

सपा सरकार में कानून व्यवस्था को लेकर आपने कई बार चेताया। योगी सरकार में कानून-व्यवस्था पर क्या कहना है?

- देखिए, कानून-व्यवस्था को लेकर मेरा आकलन पूर्व की सरकार जैसा ही है। इस दिशा में वर्तमान सरकार को अभी और सुधार करने की जरूरत है। 

सरकार और राजभवन के बीच अब कैसे संबंध हैं?  

- वैसे ही जैसे एक राज्यपाल के एक सरकार से होने चाहिए। पूर्व की अखिलेश सरकार भी मेरी थी और अब की योगी सरकार भी। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काम-काज को लेकर समय-समय पर मुलाकात, बातचीत व पत्र व्यवहार होने के साथ मैं सुझाव भी देता रहता था। मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आते रहते हैं और उनसे भी विभिन्न मामलों में बात होती है। मैं तो अपने सांविधानिक दायित्व को सकारात्मक दृष्टिकोण से निभाते हुए केंद्र व राज्य सरकार के बीच सेतु की भूमिका में रहता हूं। 

सरकार बदलने पर क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं?  

- पूर्व की सरकार ने जो किया उस पर जनता जवाब दे चुकी है। राजभवन के दरवाजे पहले की ही तरह सभी के लिए खुले हैं। समस्याओं को लेकर आने वालों के साथ ही धन्यवाद देने वालों की संख्या पहले से बढ़ी है। हां, इतना जरूर है कि यहां आने वालों के भाव में अंतर आया है। पूर्व में राजभवन आने वालों के मन में यह संदेह का भाव रहता था कि पता नहीं क्या होगा लेकिन अब मानते हैं कि काम होगा ही। 

मौजूदा सरकार तो आपकी हर बात मान रही है?

- देखिए, पूर्व में मेरे द्वारा लिखे गए जिन पत्रों पर कुछ नहीं हुआ, उन्हें वर्तमान मुख्यमंत्री को भेज चुका हूं। मुख्यमंत्री द्वारा पत्रों का जवाब देने के साथ ही उनका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश दिवस मनाने, अवैध कब्जों पर श्वेत पत्र जारी करने, लोकायुक्त की लंबित रिपोर्ट आदि मामलों में कार्यवाही भी की जा रही है।

आप विरोधी दलों के नेताओं के निशाने पर रहते हैं? 

- मेरे बारे में कौन क्या बोलता है उससे मुझ पर फर्क नहीं पड़ता। मैं राजनीतिक बयान पर टीका-टिप्पणी नहीं करता। मैंने सदा सांविधानिक व्यवस्था का पालन किया है और आगे भी करता रहूंगा। 

राज्यपाल के रूप में तीसरे वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा? 

- 22 जुलाई को मेरा तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। सालभर में क्या खास किया, इसका ब्योरा तैयार है। पूर्व की भांति 'राजभवन में राम नाईक' नाम से तीसरे वर्ष के कार्यकाल का ब्योरा उसी दिन यानी 22 को पेश करूंगा। मैं अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में किए गए कार्यों को लेकर संतुष्ट हूं।  

योगी आदित्यनाथ सरकार में गवर्नेंस पर क्या कहेंगे? 

- किसी भी सरकार के कामकाज का आकलन उसके छह माह गुजरने के बाद ही करना चाहिए। मौजूदा सरकार के सकारात्मक रुख को देखते हुए मैं तो बस इतना कहूंगा कि उसने जिस तरह के अब तक निर्णय किए हैं उससे निश्चित तौर पर बेहतर नतीजे आएंगे। कहा भी जाता है कि शुरुआत अच्छी हो तो समझो आधा काम हो गया। सरकार ने 100 दिन के कामकाज का ब्योरा देकर सराहनीय कार्य किया है।

उच्च शिक्षा की स्थिति सुधारने को क्या कर रहे हैं? 

- मैं 29 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति हूं। शैक्षिक सत्र नियमित होने के साथ ही अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हो रहा है। हाल ही में कुलपतियों की बैठक में पहली बार विभागीय मंत्री भी शामिल हुए जिसमें अहम मुद्दों पर सहमति बनी है। मैं तो छात्रसंघ चुनाव के भी पक्ष में हूं जिसके लिए कई विश्वविद्यालय तैयार भी हैं। गड़बड़ी पर एक कुलपति को बर्खास्त किया है और एक कुलसचिव को निलंबित।  

परिवार को समय दे पाते हैं?

- पहले भी कह चुका हूं कि मेरी पत्नी कुंदा नाईक को राजभवन सोने का पिंजरा लगता है क्योंकि अच्छी हवा, हरियाली, ताजी सब्जी, गाय का दूध आदि तो यहां है लेकिन, मुंबई की तरह वह न बाहर जा सकती और न ही मिलने-जुलने वाले हैं। मैं भी व्यस्तता के चलते पिछले 365 दिनों में बमुश्किल 15 दिन ही महाराष्ट्र में रहा। 


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