जांच में आया सामने, चार अफसरों से थी गायत्री प्रजापति की साठगांठ
गायत्री प्रजापति के पुत्र अनुराग ने अपने अवैध निर्माण को बचाने के लिए कोर्ट की शरण ली थी लेकिन, यह कोशिश उलटी पड़ी।
लखनऊ (विधि संवाददाता)। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने सोमवार को हाईकोर्ट को बताया कि पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का निर्माण ढहा दिया गया है। अवकाशकालीन पीठ के सामने प्राधिकरण के अधिवक्ता ने बताया कि गायत्री से मिलीभगत में चार अधिकारियों की पहचान कर ली गई है। उनके खिलाफ कार्रवाई आगे बढ़ा दी गई है। इस रिपोर्ट के बाद न्यायमूर्ति राजन राय की बेंच ने याचिका को निस्तारित कर दिया है।
गायत्री प्रजापति के पुत्र अनुराग ने अपने अवैध निर्माण को बचाने के लिए कोर्ट की शरण ली थी लेकिन, यह कोशिश उलटी पड़ी। कोर्ट ने पाया कि उनके पिता गायत्री प्रजापति पूर्व सरकार में प्रभावशाली मंत्री थे और अपने रसूख के चलते उन्होंने अवैध निर्माण करा डाला। कोर्ट ने याची को कोई राहत देने से इन्कार तो कर ही दिया था, यह भी कहा कि जो अधिकारी इसके जिम्मेदार हों उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
कोर्ट में अनुपालन आख्या पेश करते हुए एलडीए के अधिवक्ता रत्नेश चंद्रा ने कहा कि अधिशासी अभियंता अजय कुमार सिंह, असिस्टेंट इंजीनियर राकेश मोहन, जूनियर इंजीनियर अम्बरीश शर्मा व पद्माकर शामिल हैं। राज्य सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता एमएम पांडेय ने कहा कि सरकार इन अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई करेगी।
बढेंगी मुश्किलें: पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति को बलात्कार के आरोप में दर्ज मामले में जमानत देने वाले न्यायाधीश की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जमानत स्वीकार करने में अनुचित लाभ लेने की शिकायत की जांच लखनऊ में 20 व 21 जून को होगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल मामले की विभागीय जांच कर रहे हैं।
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किया था निलंबित: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले ने शिकायत मिलने पर प्रजापति की जमानत याचिका निरस्त करते हुए जमानत देने वाले लखनऊ के न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र को निलंबित कर दिया था और न्यायिक जांच का आदेश दिया था। दूसरी तरफ जमानत देने में करोड़ों के लेनदेन की शिकायत की जांच विजिलेंस को सौंपी गई है।
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