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जल्द पेश होगा साबरमती की तर्ज पर गंगा सफाई का फार्मूला

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मोक्षदायिनी गंगा को प्रदूषण से 'मोक्ष' दिलाने का मुद्दा अहम किरदार नि

By Edited By: Published: Sun, 22 Sep 2013 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2013 07:50 PM (IST)
जल्द पेश होगा साबरमती की तर्ज पर गंगा सफाई का फार्मूला

लखनऊ। लोकसभा चुनाव में मोक्षदायिनी गंगा को प्रदूषण से 'मोक्ष' दिलाने का मुद्दा अहम किरदार निभाने वाला है। भाजपा ने इसकी पटकथा अभी से लिखनी शुरू कर दी है। पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने इसे अपने एजेंडे में शामिल किया है। सूत्रों का मानना है कि मोदी गंगा को भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कराएंगे। गंगा की सफाई का फार्मूला साबरमती वाला होगा।

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लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा समाज के प्रत्येक वर्ग में भावनात्मक संबंध स्थापित करना चाहती है। इसके लिए वह गंगा का सहारा लेगी। श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण के माध्यम से वह हिंदू मतदाताओं पर डोरे डालने के साथ गंगा के माध्यम से हर जाति, धर्म के लोगों में पैठ बनाएगी। गंगा समग्र अभियान की केंद्रीय सदस्य अनामिका चौधरी कहती हैं महात्मा गांधी को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाली साबरमती नदी की सफाई के लिए नरेंद्र भाई के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने अत्याधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए हैं, जो प्रतिदिन साठ मिलियन लीटर पानी साफ करता है। जबकि नालों की धारा को मोड़ने के साथ साथ लोगों को जागरूक किया गया था, उसी फार्मूला से गंगा की सफाई की जाएगी। आरएसएस के विभाग प्रचारक मनोज कुमार के अनुसार गंगा भारतीय संस्कृति की प्राण हैं। संघ का मकसद जन भागीदारी से गंगा को उनका वास्तविक स्वरूप प्रदान करना है।

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आरएसएस ने संभाली कमान

लखनऊ। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरने वाली गंगा से करीब 35 करोड़ लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम सभी गंगा को प्रदूषण मुक्त देखना चाहते हैं। इसके मद्देनजर गंगा की अविरलता-निर्मलता की कमान खुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने हाथ में ले रखी है। संघ की ओर से चलाए जा रहे गंगा समग्र अभियान का नेतृत्व वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती कर रही हैं। जबकि पर्दे के पीछे पूरा संघ परिवार खड़ा है। उमा ने गंगोत्री से गंगा सागर तक की यात्रा कर लोगों से संपर्क स्थापित किया। जबकि मानव दीवार व गंगा शिखर सम्मेलन के माध्यम से हर जाति के आम लोगों के साथ धर्मगुरुओं को जोड़ा गया।

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