बाढ़ को लेकर विधान मंडल में विपक्ष ने सरकार को घेरा
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बाढ़ का मुद्दा गूंजा। पक्ष-विपक्ष के सदस्यों ने इस पर चर्चा की। सरकार की घेरेबंदी कर सदस्यों ने समस्या को जोर-शोर से उठाया।
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बाढ़ का मुद्दा गूंजा। पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने इस पर चर्चा की। सरकार की घेरेबंदी करते हुए विपक्षी सदस्यों ने इस समस्या को जोर-शोर से सदन में उठाया। सत्तापक्ष के सदस्यों ने भी अपने क्षेत्र की समस्या रखी। विधायकों ने कहा कि बाढ़ के समय बचाव की तैयारी की जाती है। अगर पहले से राहत और बचाव का प्रबंध हो तो समस्या हल हो जाएगी। सदस्यों ने प्रभावी कार्रवाई की मांग की। सरकार की ओर से बुधवार को इस पर जवाब आएगा।
पूर्वांचल के अनेक जिलों में बाढ़ की प्रचंड विभीषिका के उपरांत राहत कार्य न किए जाने से उत्पन्न स्थिति के संबंध में बसपा के लालजी वर्मा, राम अचल राजभर और आजाद अरिमर्दन द्वारा नियम-56 के तहत दी गई सूचना पर डेढ़ घंटे की चर्चा कराई गई। सदस्यों की मांग पर इसकी अवधि बढ़ा दी गई। विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने बुधवार को भी इस पर आधा घंटा चर्चा कराये जाने की व्यवस्था दी है। चर्चा के दौरान विशेष रूप से नेपाल से पानी छोड़े जाने के बाद बहराइच, गोंडा, बस्ती, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, अंबेडकरनगर, मऊ, बलिया समेत कई जिलों की बदहाली का जिक्र आया। लालजी वर्मा ने कहा कि बाढ़ और कटान की वजह से त्राहि-त्राहि मची है। प्रभावी कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने छोटी नदियों की गहराई बढ़ाने की मांग की।
कांग्रेस दल नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बाढ़ चरम पर है और 40 जिले प्रभावित हैं। इनमें 23 जिले अति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की फ्लड लेबल कमेटी आती है और बैठकों का सिलसिला चलता है लेकिन, उसके सुझावों का बिहार में अनुपालन तो हो जाता है लेकिन, उत्तर प्रदेश में समय से कोई कार्यवाही नहीं होती। उन्होंने समय रहते इसे पूरा करने की मांग की। भाजपा के रामचंद्र यादव ने सरकार द्वारा की गई तैयारियों की सराहना की जबकि भाजपा के ही हर्ष वद्र्धन वाजपेयी ने अपने क्षेत्र में बाढ़ की समस्या गिनाई। कहा, इलाहाबाद जैसे शहर में होने के बावजूद उनका तीन माह नाव पर बीतता है। अनियोजित विकास रोकने की मांग के साथ उन्होंने सैटेलाइट से मानीटरिंग कराने की मांग की। बसपा के विनय शंकर तिवारी ने कहा कि उनके क्षेत्र में कई गांव कटान से प्रभावित हैं। पौहरिया, जगदीशपुर, हरिहरपुर, वारानगर, तपसीकुटी में बचाव की मांग की। उन्होंने अधिकारियों की संवेदनहीनता का भी मामला उठाया। भाजपा के जटाशंकर त्रिपाठी ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों के अनुभवों से बचाव की कार्ययोजना बनाई जाए।
सपा के नरेन्द्र सिंह वर्मा ने राज्य, मंडल और जिले स्तर पर कमेटी बनाकर उसमें जनप्रतिनिधियों के साथ संबंधित विभाग के अधिकारियों को शामिल करने की मांग की। भाजपा के रामफेरन पाण्डेय ने श्रावस्ती और सौरभ श्रीवास्तव ने वाराणसी की समस्या उठाई। बसपा के असलम राइनी और सपा के राजू यादव ने भी अपनी बात रखी। भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह ने दोहरी व्यवस्था पर प्रहार किया। कहा, मैंने पिछली सरकार में अपने इलाके में बाढ़ बचाव के लिए मांग रखी लेकिन नहीं सुनी गई जबकि दूसरे जिले में दो सौ करोड़ की योजना स्वीकृति की गई। कहा, सिंचाई विभाग 15 वर्ष से बिगड़ गया है और इस पर नकेल कसने की जरूरत है। कई अन्य विधायकों ने भी चर्चा में भाग लिया।