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लखनऊ में दिमाग की उत्तर भारत की पहली बाईपास सर्जरी

संजय गांधी पीजीआइ उत्तर भारत का ऐसा पहला संस्थान बन गया है जहां दिमाग की बाईपास सर्जरी हुई है। महिला को ब्रेन हैमरेज हुआ था। महिला के दिमाग में रक्त स्त्राव हो रहा था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 10:09 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 11:52 AM (IST)
लखनऊ में दिमाग की उत्तर भारत की पहली बाईपास सर्जरी
लखनऊ में दिमाग की उत्तर भारत की पहली बाईपास सर्जरी

लखनऊ (कुमार संजय)। दिल के साथ ही किडनी व लीवर की बाईपास सर्जरी तो आप ने सुनी होगी, लेकिन दिमाग का बाईपास शायद कभी नहीं सुना होगा। लखनऊ में संजय गांधी पीजीआइ ने न्यूरोसर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने दिमाग के अंदर दो बाईपास सर्जरी कर तीस साल की महिला को स्वस्थ कर दिया।

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पीजीआइ उत्तर भारत का ऐसा पहला संस्थान बन गया है जहां दिमाग की बाईपास सर्जरी हुई है।

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महिला को ब्रेन हैमरेज हुआ था। महिला के दिमाग में रक्त स्त्राव हो रहा था। इसे 'ज्वाइंट एन्यूरिच्म' कहते हैं। दिमाग में इस जगह पर सर्जरी संभव नहीं थी। विशेषज्ञों ने हाथ की नस (रेडियल आर्टरी) निकाल कर कैरोटेड ऑर्टरी और दिमाग की मिडिल सेरीब्रल ऑर्टरी के बीच जोड़ बाईपास बना दिया। बाईपास से दिमाग में रक्त की आपूर्ति सामान्य हो गई।

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साथ ही दिमाग को पूरा खून मिले इसके लिए एक और बाईपास सर्जरी की जिसमें दिमाग के सुपीरियर टेम्पोरल ऑर्टरी को मिडिल सेरिब्रलम ऑर्टरी से जोड़ दिया जिससे तत्काल लो ब्लड फ्लो संभव हुआ।

महिला के गले के पास स्थित कैरोटेड ऑर्टरी से दिमाग के सेरेब्रल के बीच नस जोडऩे जोडऩे के लिए गले और दिमाग के अंदर एक पतली सुरंग अलग से बनाई गई।

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निदेशक प्रोफेसर राकेश कपूर ने इस सर्जरी के स्थापित होने पर विभाग के विशेषज्ञों को बधाई देते हुए कहा कि संस्थान ने अब न्यूरोसर्जरी मेडिकल साइंस के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया है।

खून सप्लाई के दूसरे विकल्प की भी की तलाश

विशेषज्ञों ने बताया कि गले के दोनों तरफ कैरोटेड ऑर्टरी होती है जिससे दिमाग के दोनों हिस्सों में खून जाता है। यह ऑर्टरी दिमाग के अंदर एक नस से जुड़ी होती है। कई बार एक ऑर्टरी में रुकावट आने पर दूसरी ऑर्टरी से दिमाग को खून की सप्लाई होने लगती है।

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इस स्थिति को बहाल करने की कोशिश भी की गई, लेकिन एन्यूरिच्म की सतह पतली होने के कारण बैलून आक्लेजन टेस्ट नहीं हो पाया। ऐसे में इसके भी इलाज का दूसरा विकल्प तलाशने की कोशिश की गई जिसमें बाईपास की तकनीक अपनाई गई।

दिमाग की एंजियोग्राफी कर देखा नसों का हाल

रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो.आरवी फड़के ने दिमाग का एंजियोग्राफी परीक्षण कर दिमाग की नसों के साथ एन्यूरिच्म की स्थिति बताई।

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बाईपास करने के बाद दोबारा एंजियोग्राफी किया जिसमें देखा गया कि दिमाग को खून सप्लाई करने के लिए रोपित की गई नसें अच्छी तरह से काम कर रही है। इसकेबाद जिस नस में एन्यूरिच्म हुआ था उसे बंद कर दिया जिससे उस नस से दोबारा दिमाग में रक्तस्त्राव न हो।


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