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ईडी ने जब्त की सुशील कटियार की 12 संपत्तियां

लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश श्रम निर्माण एवं सहकारी संघ लिमिट

By Edited By: Published: Tue, 29 Jul 2014 01:48 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jul 2014 01:48 PM (IST)

लखनऊ(जागरण ब्यूरो)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश श्रम निर्माण एवं सहकारी संघ लिमिटेड (लैकफेड) घोटाले के मुख्य आरोपी लैकफेड के पूर्व सभापति सुशील कटियार की 12 संपत्तियां जब्त कर ली हैं। वर्तमान दर के हिसाब से यह संपत्ति आठ करोड़ 55 लाख 24777 रुपये की आंकी गयी है।

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करीब तीन अरब से ज्यादा घोटाले के आरोपी कटियार के खिलाफ कोआपरेटिव सेल की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन ब्यूरो (एसआइबी) ने जांच की। कटियार को फरार घोषित किये जाने के बाद एसआइबी ने कानपुर में उसकी कई संपत्ति कुर्क कर ली थी। ईडी ने कल धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत 12 अदद संपत्ति जब्त की। ईडी ने ट्वीट के जरिए यह जानकारी साझा की है। यह कार्रवाई ईडी की लखनऊ इकाई ने की है।

उल्लेखनीय है कोआपरेटिव सेल की एसआइबी ने इस घोटाले में तत्कालीन मुख्य अभियंता गोविंद शरण श्रीवास्तव के खिलाफ 22.74 करोड़ के घोटाले में मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मामले में ईडी ने धन शोधन अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत किया। जांच एजेंसी ने यह पाया कि लैकफेड घोटाले का मास्टर माइंड पूर्व सभापति सुशील कटियार है। करीब डेढ़ दर्जन अभियंताओं से बेयरर चेक के जरिए सुशील ने धोखाधड़ी से पैसे आहरित किए। कटियार पर मंत्रियों को घूस देने के भी आरोप हैं। ईडी के मुताबिक घोटाले की अवधि में कटियार ने आठ करोड़ रुपये से ज्यादा की अचल संपत्ति बनाई। प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम की उप धारा 5 (1) के तहत इन संपत्तियों को जब्त कर लिया है। कानपुर के काकादेव इलाके से लेकर राजधानी में सुशील कटियार की काफी संपत्ति है। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने कानपुर में कई प्लाट और गोशाला तथा झांसी में पत्थर तोड़ने का प्लांट जब्त किया है। पिछले साल कोआपरेटिव सेल की एसआईबी की टीम ने लैकफेड घोटाले के मुख्य आरोपी सुशील कटियार के कल्याणपुर हितकारी नगर स्थित घर पर कुर्की की कार्रवाई की थी।

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राजधानी में कई संपत्ति

सुशील कटियार की राजधानी में कई संपत्ति है। हालांकि इनमें कई दूसरे नाम से ली गयी हैं। माल एवेन्यू में कटियार के एक फ्लैट का पता चला है, जिसे उसने एक नेता से ढाई करोड़ रुपये में खरीदा था।

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क्या है लैकफेड घोटाला

लैकफेड को एक योजना के तहत 2010 में राजकीय निर्माण एजेंसी का दर्जा दिया गया। इसके बाद विभिन्न विभागों की धनराशि इस एजेंसी को दी गयी। पूर्व सभापति सुशील कटियार और उसके साथियों ने इस धनराशि का कोई उपयोग नहीं किया और उसे सीधे हड़प लिया। यह धनराशि लगभग तीन अरब से ज्यादा बताई गयी। इस घोटाले में पूर्व मंत्री बादशाह सिंह, रंगनाथ मिश्र, चंद्रदेव यादव और बाबू सिंह कुशवाहा आरोपी हैं।


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