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मोदी ने दिखाया दलित उत्थान से मजबूत भारत तक का सपना

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के पीएम पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी गुरुवार को महापुरुषों की प्रतिमाओं प

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 04:18 PM (IST)Updated: Thu, 24 Apr 2014 04:18 PM (IST)

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के पीएम पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी गुरुवार को महापुरुषों की प्रतिमाओं पर पुष्पाजलि व माल्यार्पण के जरिए सर्वविद्या से लेकर विकसित व मजबूत भारत का सपना दिखा गए। इसमें ज्ञान, दृढ़ इच्छाशक्ति, कानून का राज, राष्ट्रप्रेम के मनोभाव शामिल थे। सफेद कुर्ते और पायजामे में चेहरे पर आब पर आखें यह संकेत देती रहीं कि विलंब से वाराणसी पहुंचने का दर्द दिल में है। उधर प्रतिमाओं से मिल रही प्रेरणा ही अवाम और देश प्रेम के जज्बे को नवजीवन भी देती रही। वे महापुरुषों को नमन के बहाने यह भी संकेत दे गए कि उनके दिल में संकीर्णता के लिए रंच मात्र स्थान नहीं है।

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नमो का उड़नखटोला सुबह सर्वविद्या की राजधानी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित हेलीपैड पर उतरा। यहा से नरेंद्र मोदी सिंहद्वार स्थित महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा को नमन करने पहुंचे। नमो ने पुष्पाजलि से यह संकेत दिए कि महामना के आदशरें के अनुरूप ही भारत का भविष्य तय होगा।

बीएचयू से मोदी का उड़नखटोला राष्ट्रप्रेम की निशानी महात्मा गाधी काशी विद्यापीठ पहुंचा। हालाकि वे यहा बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने नहीं पहुंच सके। इसे लेकर परिसर में चर्चाएं थीं पर लोग यह भी कहते रहे कि आखिर उन्होंने बापू के परिसर को नमन तो किया ही।

विद्यापीठ से नमो का काफिला मलदहिया चौराहे पर लगे दृढ़ इच्छाशक्ति के पुरोधा भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर पहुंचा। यहा भी नरेंद्र मोदी ने पटेल की प्रतिमा को प्रणाम किया। उधर जुटी भीड़ को भी प्रणाम किया। समर्थकों की भारी भीड़ लगातार नारे बुलंद कर रही थी। नरेंद्र मोदी नदेसर स्थित स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पहुंचे। यहा नमन के बहाने संकेत दिया कि उनके दिल में संस्कारिक भारत, सर्वोपरि भारत, सनातन पंरपरा और विश्व गुरु भारत का सपना है। स्वामीजी की प्रेरणा से इस सपने को पूरा करने की पुरजोर कोशिश रहेगी।

वाराणसी की कचहरी पर मोदी ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल माला चढ़ाई। यह संकेत दिया का बाबा साहेब ने जिस संविधान की रचना की, उसी संविधान के आधार पर देश की व्यवस्था संचालित रहेगी, सुशासन आएगा। दलित समाज का भी उत्थान होगा।


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