वाराणसी में दैनिक कामकाम सुचारू, स्कूल बंद, चालीस गिरफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में गणेश प्रतिमा के विसर्जन को लेकर लाठीचार्ज के विरोध में आज निकली गई प्रतिकार यात्रा अराजकता का शिकार हो गई। गोदौलिया में प्रतिकार यात्रा में भगदड़ के मामला अनियंत्रित हो गया।
वाराणसी। साधु-संतों की अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान भड़की हिंसा के बाद आज सुबह स्थिति पूरी तरह से समान्य है। एहतियातन जिला प्रशासन ने सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए हैं। पुलिस ने मामले में 40 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है।
जिला प्रशासन के अनुसार गोदौलिया चौराहे पर कल शरारती तत्वों द्वारा पुलिस पर हमला करने, सरकारी संपत्तियों में आगजनी के बाद हालात काबू करने के लिए चार थाना क्षेत्रों में कफ्र्यू लगाना पड़ा था हालांकि स्थित सामान्य होने पर देर रात कफ्र्यू हटा लिया गया था। एहतियातन सभी शिक्षण संस्थान बंद रखने का निर्णय लिया था। हिंसा में 13 पुलिसकर्मियों समेत 24 लोग धायल हो गए थे। शांतिपूर्ण अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान हिंसा फैलाने के मामले में और भी लोगों पर संदेह है। उन लोगों की पहचान की जा रही है। वहीं दशाश्वमेध, लक्सा, चौक एवं में धारा 144 लागू कर दी गई है। बडी संख्या में पुलिस बल तैनात है। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान भगदड़, पथराव, आगजनी, बमबाजी के बाद प्रशासन ने नगर के चार थाना क्षेत्रों कोतवाली, चौक, दशाश्वमेध व लक्सा में कर्फ्यू लगाकर हालात काबू में किए। हालात काबू में आते करीब तीन घंटे बाद इसे हटा लिया गया। कर्फ्यू के दौरान काम से लौट रहे गोलगड्डा निवासी 32 वर्षीय एक राजगीर सूर्यप्रकाश बिंद को अराजक तत्व समझते हुए पुलिस ने गोली मार दी, जो उसकी कमर में लगी। उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया है। भगदड़-पथराव में लगभग दो दर्जन से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें दो थानेदारों समेत 14 पुलिसकर्मी शामिल हैं। मीडियाकर्मियों को भी पीटा गया और करीब चार न्यूज चैनलों के वाहनों में आग लगा दी गई। फायर बिग्र्रेड की दो गाडिय़ां भी पब्लिक के कोप का शिकार हुईं।
हालात तब बिगड़े जब मैदागिन टाउन हॉल मैदान से निकलकर दशाश्वमेध की तरफ बढ़ती हजारों की भीड़ के साथ संतों की यात्रा गोदौलिया चौराहे पर पहुंची। जैसे ही जत्था दशाश्वमेध घाट की तरफ घूमा, मारवाड़ी अस्पताल के पास किसी ने पत्थर उछाले जिससे भगदड़ मची। हालांकि, भगदड़ का कारण भीड़ में कई सांड़ों का घुसना भी बताया जाता है।
भगदड़ को देख पुलिस ने डंडे पटके तो उत्तेजना फैली और देखते ही देखते भीड़ ने गोदौलिया में खड़ी पुलिस जीप, मोटर साइकिलों, पुलिस पिकेट समेत लगभग 25 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। धू-धू उठते धुएं के बीच काशी का हृदय स्थल गोदौलिया धधक उठा। पुलिस पर पत्थरों की बारिश होने लगी। लोग अन्य वाहनों को भी शिकार बनाने लगे। पुलिस ने भी डंडा पटकना शुरू कर दिया, लेकिन भीड़ के आगे सीमित बल असहाय था। इसी बीच भीड़ की तरफ से बम के धमाके जैसी तेज आवाज सुनाई दी। बेकाबू होते हालात को देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोडऩे शुरू किए।
तब तक गिरजाघर से नई सड़क तक का इलाका सुलगना शुरू हो चुका था। गिरजाघर के पास भीड़ ने एसपी सिटी के वाहन को भी क्षतिग्र्रस्त कर फोर्स पर पथराव शुरू कर दिया। ऐसे ही हालात नई सड़क, चेतगंज, बांसफाटक, लक्सा, लहुराबीर, नीचीबाग आदि में बनते गए। उधर, करीब तीन घंटे के कफ्र्यू से स्थिति प्रशासन के नियंत्रण में तो दिख रहा है, मगर देर रात तक हालात गुरिल्ला युद्ध जैसे बने हुए हैं। लोग रह-रहकर निकल रहे हैं और पुलिस पर पथराव कर रहे हैं।
संतों ने मंदिर में ली शरण
अन्याय प्रतिकार यात्रा का नेतृत्व करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व अन्य संत एकाएक मची भगदड़ से हैरान रह गए। जब तक वे कुछ समझते, हालात बेकाबू हो चुके थे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें पुलिस प्रशासन ने गोदौलिया से सटे बांसफाटक स्थित सत्यनारायण मंदिर में बिठा दिया।
अन्याय प्रतिकार यात्रा क्यों
गंगा में गणेश प्रतिमा विसर्जन की मांग पर अड़े संतों पर 22 सितंबर को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के विरोध में संतों ने अन्याय प्रतिकार यात्रा का आह्वïान किया था। संतों की मांग थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनके बीच आएं और घटना को लेकर खेद प्रकाश करें।
मुख्यमंत्री को फोन पर स्वामी ने कहा, देर हो गई
यात्रा की शुरुआत के पहले मंच से भाषण करते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि अभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का फोन आया था पर उन्होंने उनसे कह दिया कि अब देर हो गई।
जांच होनी चाहिए, किसने फैलाई हिंसा : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ऐसे हिंसक आंदोलन का वह नेतृत्व नहीं कर सकते। जांच होनी चाहिए कि किसने फैलाई हिंसा और हिंसा फैलाने वाले कहां से आए। बवाल कैसे हुआ, मुझे नहीं पता। मेरे गोदौलिया चौराहे पर पहुंचने से पूर्व ही वहां बवाल शुरू हो गया। वहां पहले से ही प्रशासन था। अब आगे की रणनीति के लिए बैठक कर फैसला लिया जाएगा। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महंत बालकदास, महामंडलेश्वर संतोष दास व अन्य संतों के साथ दशाश्वमेध घाट गए और गंगा की निर्मलता - अविरलता व परंपरा निर्वाह का संकल्प लिया।
आहत हुई सनातन धर्म की भावना- महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा कि संतों की प्रतिकार यात्रा के दौरान काशीवासियों ने तो सनातन धर्म की आवाज के साथ अपनी आवाज मिलाई। यह कुछ लोगों को रास नहीं आई और उन्होंने हिंसा फैलाई। इससे सनातन धर्म की भावना आहत हुई है। उपद्रव करने वालों की शासन-प्रशासन जांच करे। संत समाज उनका सहयोग करेगा।