रामजन्म भूमि के विवादित मामले पर खुद फैसला करे कोर्ट : उलमा
दारुल उलूम ने कहा कि अब अयोध्या मसले पर समझौते की बातचीत का औचित्य नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुना देना चाहिए।
By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 21 Mar 2017 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 09:43 PM (IST)
सहारनपुर (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्रीराम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद में पक्षकारों को दी गई सलाह पर दारुल उलूम समेत कई उलमा ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को ही इस मसले पर निर्णय लेने का अधिकार है। अब इस मसले पर समझौते की बातचीत का कोई औचित्य नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुना देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने सलाह दी थी कि श्रीराम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद का मुद्दा कोर्ट के बाहर बातचीत से हल किया जाना चाहिए। इस पर दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि देश का मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। इसलिए जब तक बोर्ड का कोई निर्णय नहीं आ जाता, सभी को खामोशी से इंतजार करना चाहिए। जमीयत उलमा-ए-ङ्क्षहद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पहले भी बातचीत के जरिए समझौते की बात कई बार हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकला। समझौते से कोई हल निकलेगा भी नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर अपना फैसला दे देना चाहिए। दोनों पक्षों को फैसला मानना पड़ेगा।
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