Move to Jagran APP

आओ संवाद करें : नवाबों की नगरी में फिर सजी महफिल-ए-गुफ्तगू

'छेड़ कुछ गुफ्तगू ऐसी कि मद्धिम सा शोर हो जाए, नींद उड़ जाए अपनी आंखों से बातों-बातों में भोर हो जाए'। गोया हर शख्स बातों की शबनम बरसने का इंतजार कर रहा था। एक तो तहजीब का शहर लखनऊ ऊपर से साहित्य मनीषी अमृत लाल नागर का जन्मशताब्दी वर्ष। बतरस

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 09:11 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 11:01 PM (IST)
आओ संवाद करें : नवाबों की नगरी में फिर सजी महफिल-ए-गुफ्तगू

लखनऊ। 'छेड़ कुछ गुफ्तगू ऐसी कि मद्धिम सा शोर हो जाए, नींद उड़ जाए अपनी आंखों से बातों-बातों में भोर हो जाए'। गोया हर शख्स बातों की शबनम बरसने का इंतजार कर रहा था। एक तो तहजीब का शहर लखनऊ ऊपर से साहित्य मनीषी अमृत लाल नागर का जन्मशताब्दी वर्ष। बतरस का अमृत तो भारतेंदु नाट्य अकादमी में आज से शुरू तीन दिवसीय सतरंगी छटा 'जागरण संवादी' में बरसना ही था।

loksabha election banner

'जागरण संवादी' का उद्घाटन एक नई परंपरा के साथ हुआ। साहित्य से लेकर खेल जगत से जुड़ी शहर का प्रतिनिधित्व करने वाली नामचीन हस्तियों ने जब संवादी का दीप प्रज्ज्वलन किया तो लगा कि लोगों को गुफ्तगू के इसी शमा के रोशन होने का इंतजार था। इन शख्सीयतों में थे लखनऊ दूरदर्शन व आकाशवाणी के पूर्व महानिदेशक विलायत जाफरी, इतिहासकार रवि भट्ट, शहर को करीब से जानने वाले राम आडवाणी और भारतीय वालीबाल टीम के पूर्व कप्तान व उत्तर प्रदेश के पहले अर्जुन पुरस्कार विजेता रणवीर सिंह।

दूसरे साल फिर सजी 'जागरण संवादी' की महफिल के उद्देश्यों को सभागार में मौजूद लोगों से साझा किया दैनिक जागरण के एसोसिएट एडिटर (उप्र) आशुतोष शुक्ल ने। आह्वान किया कि विमर्श के इस मौके और मंच का भरपूर लाभ उठाएं। साहित्य, कला, संगीत, संस्कृति, सिनेमा, रंगमंच और समाज से जुड़े दिग्गजों से होने वाले साक्षात्कार में बेझिझक-बेमुरव्वत बात करें, संवाद करें।

कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की क्रिएटिव कंसलटेंट सत्यानंद निरूपम ने। उन्होंने बेसिर-पैर की अफवाहों के इस दौर में संवाद की महत्ता को रेखांकित किया। कहा, लोक व शास्त्रीय रुचि के बीच की खाई और नए और पुराने के बीच की दूरी को खत्म करने के लिए जरूरी है कि लोगों में संवाद हो। संवादी का आरंभ करने वाले लखनऊ की प्रतिनिधि शख्सीयतों का स्वागत दैनिक जागरण, लखनऊ के महाप्रबंधक जेके द्विवेदी ने पुष्प गुच्छ भेंट कर किया। दैनिक जागरण के संपादक (उत्तर प्रदेश) दिलीप अवस्थी की मौजूदगी में हुए उद्घाटन समारोह के बाद संवादी के सत्रों का सिलसिला शुरू हुआ। शब्दों के जादूगरों ने महफिल में जब यादों और बातों का पिटारा खोला तो लोगों को ये समझ में नहीं आया कि किन बातों को याद रखें और किन्हें अपने साथ लाए पन्नों में इबारत बना कर रख लें।

भरोसे के सवाल से रसोई की थाल तक

संवादी के पहले दिन किस्सागोई के स्तंभ अमृतलाल नागर की कलाधर्मिता मंच पर अभिनय के रूप में दिखी और उनकी स्मृतियों पर साहित्य जगत के वीरेंद्र यादव, शिवमूर्ति, संदीपन विमलकांत नागर, पारिजात नागर व रंगकर्मी अतुल तिवारी ने चर्चा की। दूसरा सत्र 'लव एंड राइटिंग इन डिजिटल एरा' विषयक था जिसमें नौ किताबों के बेस्ट सेलर लेखक दुर्जाय दत्ता और पंकज दुबे ने मंच संभाला। तत्पश्चात अंग्रेजी के जानेमाने लेखक नलिन मेहता, मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार व प्रशांत राज से बात हुई। अंतिम सत्र में 'ऋतु, रति और रसोई' के जरिए एकता का तानाबाना बुना प्रख्यात राजनीति विशेषज्ञ जेएनयू से सेवानिवृत्त प्रो. पुष्पेश पंत ने।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.