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नीति आयोग से उत्तर प्रदेश को 1.16 लाख करोड़ की दरकार, बैठक में भाग लेंगे सीएम योगी

जनता से किये वादों को अमली जामा पहनाने को योगी सरकार संसाधन जुटाने के सारे जतन कर रही है। इसकी बानगी आज दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में दिखेगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:02 PM (IST)
नीति आयोग से उत्तर प्रदेश को 1.16 लाख करोड़ की दरकार, बैठक में भाग लेंगे सीएम योगी

लखनऊ [राजीव दीक्षित]। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लोक कल्याण संकल्प पत्र में चुनावी वादों को निभाने पर सरकारी खजाने पर दो लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम बोझ आने का अनुमान है। 

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जनता से किये वादों को अमली जामा पहनाने के लिए योगी सरकार संसाधन जुटाने के सारे जतन कर रही है। इसकी बानगी आज नई दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक में दिखेगी जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अतिरिक्त संसाधन जुटाने के मकसद से उप्र को केंद्रीय योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने का अनुरोध करेंगे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश की बकाया धनराशि भी उत्तर प्रदेश को जारी कराने की मांग करेंगे। 

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मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतिकरण के संदर्भ में वित्त विभाग ने सभी विभागों से संकल्प पत्र में किये गए वादों पर अमल के खर्च का ब्योरा तलब किया था। सूत्रों के अनुसार, वित्त विभाग को 32 विभागों ने जो ब्योरा दिया, उसके हिसाब से इन महकमों से जुड़े वादों को हकीकत में बदलने पर 1.16 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें लघु व सीमांत किसानों के फसली ऋण माफ करने पर 36,359 करोड़ रुपये का व्ययभार शामिल है।

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तब तक 13 विभागों से सूचनाएं नहीं प्राप्त हुई थीं। वित्त विभाग का आकलन है कि इन 13 विभागों से संबंधित चुनावी वादों को साकार करने पर तकरीबन 84,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस हिसाब से लोक संकल्प पत्र के वादों को निभाने पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। संसाधनों की किल्लत को देखते हुए सरकार इन वादों को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने में जुट गई है।

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वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रदेश में संचालित केंद्रीय योजनाओं का कुल आकार तकरीबन 61 हजार करोड़ रुपये था। केंद्र सरकार ने 2017-18 के बजट में केंद्रीय योजनाओं के आकार में 20 फीसद का इजाफा किया है। इसलिए गवर्निंग काउंसिल की बैठक में एजेंडे के अलावा मुख्यमंत्री का फोकस इस बात पर भी होगा कि उप्र को केंद्रीय योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा मिले। वहीं इन योजनाओं में केंद्रांश की बकाया राशि भी राज्य को मिल जाए।

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गवर्निंग काउंसिल की बैठक का एजेंडा

-केंद्रीय योजनाओं का पुनर्गठन करने, कौशल विकास और स्वच्छ भारत मिशन पर गठित मुख्यमंत्रियों के उप समूहों की सिफारिशों पर अब तक हुई कार्यवाही की रिपोर्ट पेश किया जाना।

-गरीबी उन्मूलन और कृषि विकास पर बनीं टास्क फोर्स का प्रस्तुतिकरण।

-बारहवीं योजना के बाद पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर दीर्घकालीन योजना को लेकर विजन, स्ट्रैटेजी और एक्शन प्लान का प्रस्तुतिकरण।

-वस्तु एवं सेवा कर, डिजिटल इंडिया और किसानों की आय दोगुना करने पर अलग-अलग प्रस्तुतिकरण।


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