विरासत में मिलीं कमियां परिश्रम से ही दूर होंगी : योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार भले ही पांच साल के लिए चुनी गई हो, उनकी पार्टी का लïक्ष्य अगला लोकसभा चुनाव है। भाजपा पर अपने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव होगा।
लखनऊ [आशुतोष शुक्ल]। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मानते हैं कि उनके पास समय कम है और चुनौतियां अधिक। इसलिए जल्द से जल्द आमूलचूल बदलाव पर उनका जोर है। वह कहते हैं-'हमें जो जनादेश मिला है, वह ठहरने की अनुमति नहीं दे रहा। विरासत में अनेक समस्याएं मिली हैं हमें, इसलिए कड़ा परिश्रम करना होगा। वह यह भी कहते हैं कि उन्हें 2019 में परिणाम देना है।
'दैनिक जागरण' से कल बातचीत में मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार भले ही पांच साल के लिए चुनी गई हो, उनकी पार्टी का लïक्ष्य अगला लोकसभा चुनाव है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 73 सीटें जीतने वाली भाजपा पर अपने प्रदर्शन को दोहराने का दबाव होगा। इसलिए राज्य सरकार अपने कामकाज की गति तेज रखेगी और उसके फैसले लोकलुभावन भी हो सकते हैं।
EXCLUSIVE: योगी बोले- परिवारवाद, जातिवाद के दिन गए...अब विकासवाद
योगी कहते हैं कि राज्य में पंद्रह वर्षों में किसान की बहुत उपेक्षा हुई। हमसे पहले सत्ता में रही समाजवादी पार्टी ने भ्रष्टाचार का रिकार्ड तोड़ दिया था जिसका असर खजाने पर पड़ा। फिर भी किसानों के लिए हमने कर्जमाफी की है। वह आश्वस्त करते हैं कि भले ही कर्ज माफी का बोझ सरकारी कोष पर पड़ा हो लेकिन, कोई न कोई रास्ता निकालेंगे और वह रास्ता जनता पर टैक्स के रूप में नहीं होगा।
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पूर्वाचल में जेई (मष्तिष्क ज्वर) को वह बड़ा मुद्दा मानते हैं। 20 वर्ष से संसद में इस मुद्दे को उठा रहे योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि केंद्र की कई योजनाएं ऐसी हैं जिनके सही अमल से स्वच्छता आएगी और तभी यह बीमारी दूर की जा सकेगी। केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकारें होने का लाभ भी वह जानते हैं और इसका दबाव भी मानते हैं।
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मुख्यमंत्री विकास के लिए प्रदेश के विभाजन को जरूरी नहीं मानते। उन्हें लगता है यूपी में इतनी संभावना है कि अच्छे काम से उसके सभी अंचलों की प्रगति की जा सकती है। वह मानते हैं कि धर्म का आधार राष्ट्र है और परिवारवाद व जातिवाद की बातें करने वालों के दिन अब लद चुके। योगी को अहसास है कि सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं के साथ इंटरव्यू में समाजवादी पार्टी सरकार में हुई अनियमितताएं अदालत की चौखट तक पहुंची थीं, इसीलिए वह भर्तियों में पारदर्शिता पर जोर देते हैं।