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मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड के लिए केंद्र से मांगे दस हजार टैंकर

बुंदेलखंड में पानी को लेकर शुरू हुई सियासत चिट्ठी-पत्री तक पहुंच गयी है। एक ओर केंद्र से आई पानी की ट्रेन झांसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी, वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र को पत्र लिखकर दस हजार पानी ढोने के टैंकर मांग डाले।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 05 May 2016 09:41 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 09:50 PM (IST)
मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड के लिए केंद्र से मांगे दस हजार टैंकर

लखनऊ। बुंदेलखंड में पानी को लेकर शुरू सियासत चिट्ठी-पत्री तक पहुंच गयी है। एक ओर केंद्र से आई पानी की ट्रेन झांसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी, वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र को पत्र लिखकर दस हजार पानी ढोने के टैंकर मांगे हैं। बुंदेलखंड में जल संकट के मद्देनजर केंद्र सरकार पानी के टैंकरों से भरी एक ट्रेन भेजी तो प्रदेश सरकार ने उसकी जरूरत से इन्कार कर दिया। आज वह ट्रेन झांसी रेलवे स्टेशन पर खड़ी रही। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती को पत्र लिख बुंदेलखंड के जलाशयों से आम जनता तक पानी पहुंचाने के लिए पानी ढोने के दस हजार टैंकर उपलब्ध कराने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड में मौसम की मार, कम वर्षा और भूगर्भ जल के गिरते स्तर की वजह से पानी का संकट उत्पन्न हुआ है, किन्तु अभी भी इस क्षेत्र के जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है। इन जलाशयों से गांव और आबादी तक पानी पहुंचाने की जरूरत है। इसके लिए राज्य सरकार ने विशेष रूप से बुंदेलखंड में पानी ढोने के टैंकरों की व्यवस्था की है। नए हैंडपंप लगाने के साथ ही पुराने हैंडपंपों की आवश्यक रीबोङ्क्षरग व मरम्मत भी की जा रही है। उन्होंने लिखा है कि पानी की ट्रेन की आवश्यकता तभी होती है, जब संपूर्ण क्षेत्र में पानी न हो और दूर से पानी लाना पड़ता हो। बुंदेलखंड के जलाशयों में अभी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है, इसलिए पानी की ट्रेन से ज्यादा जरूरत टैंकरों की है। इसके मद्देनजर ही पानी ढोने के टैंकर मांगे गए हैं। यदि भविष्य में पानी की ट्रेन की आवश्यकता होगी, तो प्रदेश सरकार समय रहते इसकी मांग करेगी।

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भूख से मौत पर डीएम की जिम्मेदारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर भूख से किसी की मौत हुई तो डीएम व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। बुंदेलखंड में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने का साथ युद्ध स्तर पर राहत योजनाएं चलाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड के सात जिलों के 2.30 लाख अंत्योदय परिवारों को समाजवादी सूखा राहत बांटने में ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी। किसी भी स्थिति में भूख से मृत्यु न होने पाये। ऐसी स्थिति आयी तो डीएम पद नहीं व्यक्ति के रूप में जिम्मेदार माने जाएंगे। अंत्योदय लाभार्थियों में से जिन परिवारों की आजीविका आपदा से प्रभावित हुई है, उन परिवारों को राहत पैकेट बांटे जा रहे हैं। पशुओं के चारे के लिए प्रत्येक जिले को एक-एक करोड़ रुपये दिए गए हैं। मनरेगा के मानव दिवस सौ से बढ़ाकर 150 कर दिए गए हैं। टैंकरों के जरिये पीने के पानी का इंतजाम कराया जा रहा है।

पानी के लिए धन जारी

बुंदेलखंड में 5,786 नए इंडिया मार्का-2 हैंडपंप की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपये और 440 वाटर टैंकर के लिए 9.94 करोड़ रुपये जारी हो गए हैं। 3,527 इंडिया मार्का-2 हैंडपंप की रिबोरिंग के लिए त्वरित आर्थिक विकास योजना के तहत 20.85 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये हैं। वर्ष 2015-16 में 160.88 लाख मानव दिवस सृजन के सालाना लक्ष्य के सापेक्ष 198.26 लाख दिवस सृजित हुए। वर्ष 2016-17 में बुंदेलखंड के सात जिलों में तीन मई, 2016 तक 7.66 लाख मानव दिवस के सापेक्ष 5.39 लाख दिवस सृजित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान के अंतर्गत इस क्षेत्र में 10,705.74 लाख रुपए एवं प्रदेश में 87,197 लाख रुपये व्यय करतालाबों पर कार्य कराया गया।

फसल मूल्य निर्धारित करने का प्रस्ताव

कृषि विभाग द्वारा अन्य फसलों के साथ तिल के बीज का मूल्य निर्धारित करने की संस्तुति केंद्र सरकार से की गयी है। बुंदेलखंड में वर्षा, जल संचयन के लिए 12.21 करोड़ रुपये की खेत-तालाब योजना स्वीकृत हुई है। दो हजार तालाबों को ठीक करने का लक्ष्य है। प्रथम चरण में 12 और द्वितीय चरण में 48 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाएं स्वीकृत की गयी हैं। इसके लिए 91.63 करोड़ रुपये अवमुक्त किया गया। प्रथम चरण का कार्य पूरा हो गया है।

किसानों की मदद के लिए मंडियां

किसानों के उत्पाद बिक्री के लिए सात विशिष्ट मंडियां व 133 ग्रामीण अवस्थापना केंद्रों का निर्माण मंडी परिषद द्वारा कराया जा रहा है। 17 निशुल्क बोरिंग, 583 मध्यम गहरी बोरिंग, 276 गहरी बोरिंग व 59 रिचार्जिंग चेकडैम बनाया जा रहा है। 8098 डगवेल निर्माण के लक्ष्य के सापेक्ष 7926 परियोजनाएं पूरी हो गयी हैं।

नदियां बचाने का अभियान भी

महोबा की चंद्रावल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए चरखारी एवं कबरई क्षेत्र में 15 चेकडैम, झांसी में लखेरी नदी व सहायक नालों गुरसराय एवं बंगरा में 29 चेकडैमों हेतु प्राप्त 632.978 लाख रुपये के सापेक्षनिविदा मांगी गयी हैं। अर्जुन सहायक परियोजना से हमीरपुर, महोबा एवं बांदा जिलों में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता के विकास पर कार्य हो रहा है। बाण सागर नहर परियोजना से मीरजापुर व इलाहाबाद में सिंचाई के साधन हो रहे हैं। वाराणसी में वरुणा नदी के चैनलाइजेशन एवं तटीय विकास कराया जा रहा है।

केंद्र से खाद्यान्न व धन मांगा

प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू कर दिया गया है और पात्र परिवारों को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल दिया जा रहा है। बुंदेलखंड में 39060.105 मीट्रिक टन खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है। यह आवंटन 73.64 फीसद आबादी के लिए पर्याप्त है। 31 मार्च, 2016 तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत चिन्हित लाभार्थियों की संख्या कुल जनसंख्या के सापेक्ष 76.92 प्रतिशत है। इसी के अनुरूप खाद्यान्न आवंटन की केंद्र सरकार से मांग की गयी है। फसलों की क्षति के मद्देनजर 1261.04 करोड़ रुपये राष्ट्रीय आपदा निधि से स्वीकृत करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है।

केंद्र सरकार पर निशाना

फरवरी, मार्च एवं अप्रैल, 2015 में ओलावृष्टि व अतिवृष्टि से कृषि फसलों के नुकसान के साथ जनधन की हानि हुई थी। इस आपदा से 02 करोड़ किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। केंद्र सरकार को 7543.14 करोड़ रुपये का मेमोरैंडम भेजा गया था, जिसके सापेक्ष 2801.59 करोड़ रुपये मिले। राज्य सरकार द्वारा अद्यतन 4498.29 करोड़ रुपये (2801.59 करोड़ रुपये राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से व 478.70 करोड़ रुपये राज्य आपदा मोचक निधि और 1218 करोड़ रुपये राज्य सरकार की ओर से) मंजूर किये गये थे। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि केंद्र सरकार से संपूर्ण धन नहीं मिलने के कारण आधे किसान राहत से वंचित रहे। केंद्र सरकार से अवशेष धनराशि 4741.55 करोड़ रुपये की मांग की गयी है। जून से सितंबर 2015 के मध्य कम वर्षा के कारण 50 जिलों को नवंबर, 2015 में सूखाग्रस्त घोषित किया गया। इनमें से 21 जिलों में फसलों की व्यापक क्षति हुई थी। मिट्टी में नमी की कमी के चलते रबी 2015-16 की बोआई प्रभावित हुई और फसलों की क्षति हुई। सूखा-2015 हेतु 2057.79 करोड़ रुपये का मेमोरैंडम केंद्र को भेजा गया, केंद्र सरकार द्वारा केन्द्रांश समायोजित करने के बाद 934.32 करोड़ रुपये आवंटित हुए जिसमें से 867.87 करोड़ रुपये की धनराशि कृषि निवेश अनुदान के रूप में स्वीकृत किया गया।


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