बेहद गरीबी में बीता था रामनाथ कोविंद का बचपन
कोविंद के साथ कक्षा आठ तक पढ़े जसवंत ने बताया कि जब उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी। उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया।
लखनऊ (जेएनएन)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का बचपन बेहद गरीबी में बीता था। घर में लगी आग में उनकी मां की मौत होने के बाद से उनके संघर्ष की जो गाथा शुरू हुई वह आज तक जारी है।
कानपुर देहात की डेरापुर तहसील में परौख गांव में रामनाथ कोविंद का जन्म हुआ था। उनका बचपन बहुत ही गरीबी में बीता। घास-फूस की झोपड़ी में उनका परिवार रहता था। कोविंद के साथ कक्षा आठ तक पढ़े जसवंत ने बताया कि जब उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी। मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया। गांव में अभी भी दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है। ग्रामीणों ने बताया कि कोविंद 13 वर्ष की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढऩे जाते थे।
मिठाई से परहेज करते हैं कोविंद
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के जनसम्पर्क अधिकारी रहे अशोक द्विवेदी ने बताया कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं। कोविंद की पसंद-नापसंद के बारे में उन्होंने बताया कि वह अन्तर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं। उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं। वह लगातार उनके सम्पर्क में हैं और 2012 में उनकी पत्नी के निधन पर वह घर आये थे।
यह भी पढ़ें: वाह क्या बात हैः प्रधानमंत्री के बाद अब राष्ट्रपति भी उत्तर प्रदेश से
कानपुर में भी जश्न का माहौल
कानपुर के कल्याणपुर की महर्षि दयानन्द विहार कॉलोनी में जश्न का माहौल है। शहर के मानचित्र पर कोई खास पहचान न रखने वाले इस इलाके के निवासी पड़ोसी रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद खुशियां मना रहे हैं। दयानन्द विहार कॉलोनी के निवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
यह भी पढ़ें: आजादी के 70 साल बाद मिलेगा यूपी मूल का पहला पूर्णकालीन राष्ट्रपति
कोविंद का एक घर इसी कॉलोनी में है। बड़ी संख्या में लोग अपने पड़ोसी को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजाने उतर पड़े और उन्होंने जमकर पटाखे भी जलाए।
रामनाथ कोविंद बने बीजेपी के राष्ट्रपति प्रत्याशी, देखें तस्वीरें
गांव में मनाई गई खुशी
गांव के लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटकर तथा पटाखे दगाकर खुशियां मनाई। कोविंद की भांजी और पेशे से शिक्षिका हेमलता ने कहा कि हम उनसे करीब 10 दिन पहले पटना में मिले थे, तब तक हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के प्रत्याशी बनेंगे। यह हमारे लिये गर्व की बात है।
यह भी पढ़ें: कानपुर देहात के निवासी हैं बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद