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बच्चों का होमवर्क भी देखते हैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को पूरी रौ में थे। बुधवार को वह 42 वर्ष पूरे कर रहे हैं, इस नाते उनसे राजनीति से इतर बातें की गईं। कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास में अखिलेश ने पति, पिता और किताबों व मनोरंजन आदि के

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 11:00 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 02:52 PM (IST)
बच्चों का होमवर्क भी देखते हैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को पूरी रौ में थे। बुधवार को वह 42 वर्ष पूरे कर रहे हैं, इस नाते उनसे राजनीति से इतर बातें की गईं। कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास में अखिलेश ने पति, पिता और किताबों व मनोरंजन आदि के बारे में दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता परवेज अहमद के सवालों के बेबाकी से जवाब दिए। बोले, घूमने का खूब मन करता है। बाहर मौसम कितना सुहाना है लेकिन चाहकर भी जनेश्वर मिश्र पार्क नहीं जा सकता। कुर्सी के साथ विवशताएं जुड़ जाती हैं। पहले किताबें खूब पढ़ता लेकिन अब समय नहीं मिलता। अध्ययन ही आगे ले जाता है, सोच को दिशा देता है और निर्णय करने की क्षमता प्रदान करता है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-

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बच्चों को कैसे समय देते हैं?

'बच्चों का होमवर्क मैं नियमित देखता हूं। हमारे घर के बच्चों की प्रवृति अलग-अलग है। एक ज्यादा नंबर वाले पन्नों पर मेरे हस्ताक्षर कराना पसंद करता है, दूसरा कम नंबर आने पर ही कॉपी बढ़ाता है, क्योंकि उसे मां की डांट का डर होता है। बच्चों के साथ खेलने व समय देने का प्रयास जरूर करता हूं। अभी उनकी छुïट्टी थी, तो विदेश भी ले गया था।

-केवल अपने लिए क्या कभी समय निकाल पाते हैं?

-बड़ी 'कांप्लेक्स ड्यूटी (जटिल दायित्व) है मेरी। बड़ा प्रदेश है तो काम भी उसी हिसाब से होते हैं। फैसले लेना है, लेकिन इन सबके लिये खुद को तैयार रखने के लिए समय निकालना जरूरी होता है पर कई बार समय नहीं निकल पाता।

-खुद को तरोताजा रखने के लिए क्या करते हैं?

सुबह कसरत जरूर करता हूं। राजधानी से बाहर होता हूं तो भी जल्दी उठकर थोड़ी स्ट्रेचिंग जरूर करता हूं। फास्ट फूड से पूरी तरह परहेज रहता है। घर के बच्चों को भी इससे बचने के लिए कहता हूं।

-क्या-क्या शौक हैं

कुछ खास नहीं। घूमना बहुत अच्छा लगता है। कभी ट्रेन से कभी बस से। देश-विदेश कहीं घूमने का मौका मिले तो अच्छा लगता है।

-पढऩे का शौक है या नहीं। है तो किस किस्म की किताबें पढ़ते हैं। लेखक कौन से पसंद हैं?

अब तो किताबें पढऩे का समय नहीं मिल पाता है। जब कोई साथी अच्छी किताब का जिक्र करता है तो उससे कहता हूं कि खास-खास बातें हाइलाइट कर एक समरी (सारांश) बनाकर दे दें, उसे पढ़कर कुछ पन्ने पढऩे का प्रयास करता हूं। लोहिया, जेपी को खूब पढ़ा है। एलेक्स रदरफोर्ड की किताब 'एम्पायर ऑफ मुगल्सÓ पढ़ी जिसे तीन माह में खत्म कर पाया। पसंदीदा लेखक के रूप में किसी एक का नाम लेना ठीक नहीं।

-तीन सालों में कौन सी फिल्में देखीं?

कोई नहीं, सामाजिक समस्याओं पर बनी कई फिल्में देखने का मन किया, मगर फिल्म देखने के स्थान पर उतना समय काम पर दे दिया।

-पसंदीदा पर्यटन स्थल कौन सा है?

(मुस्कुराकर) यह मत पूछिए। यूं तो जनेश्वर मिश्र पार्क सबसे अच्छा पयर्टन स्थल है। वहां भरपूर आक्सीजन हैं। हरियाली है। खूबसूरती है। बच्चों के लिए खेलने का स्थान भी है।

-खाने में पसंद क्या है। कभी खुद भी कुछ बनाया क्या?

सब कुछ खा लेता हूं, शर्त ये है कि अच्छा बना हो। राजनीति में बहुत यात्रा करनी होती है। मूवमेंट भी ज्यादा रहता है, इसलिए सादा भोजन पसंद करता हूं। रही बात कुकिंग की तो छात्रावास में रहने वाला प्रत्येक छात्र कभी न कभी, कुछ न कुछ बनाकर जरूर खाता है। जिन छात्रावासों में मैं रहा वहां मेस थी। कुकिंग करना नियमों के विरुद्ध था।

-क्या खुद के बारे में कुछ लिखने का मन करता है?

अभी तो नहीं। लेकिन तीन सालों में ढेरों अनुभव हुए हैं, कभी वक्त आया तो इस पर विचार जरूर करूंगा।

-सियासी तनाव से उबरने का क्या तरीका अपनाते हैं?

राजनीति में हैं तो राजनीतिक कारणों से तनाव कैसा? किसी भी प्रकरण में फैसले ले लेने से तनाव खुद ही खत्म हो जाता है।

-प्रदेश की तीन सबसे बड़ी चुनौतियां कौन सी हैं?

इन्फ्रास्टक्चर को बेहतर करना यानी बिजली, पानी, शिक्षा, सड़क की बेहतरी, रोजगार के अवसर सृजित करना और राज्य में सांप्रदायिक शक्तियों का उभार रोकना बड़ी चुनौती है। समाजवादी सरकार इस दिशा में काम कर रही है।

-प्रदेश की तीन सबसे बड़ी ताकत कौन सी हैं?

कृषि-किसान, नौजवान सबसे बड़ी ताकत हैं।

-क्यों उïत्तर प्रदेश के बच्चे बेहतर पढ़ाई के लिए बेंगलूर, अहमदाबाद, पुणे और चेन्नई जाने के लिए विवश हैं। क्यों उन्हें यहां बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती?

हां, पहले जाते थे, अब देखिये क्लैट, आइआइटी में प्रदेश के बच्चे परचम लहरा रहे हैं। हम उनका सम्मान कर दूसरे बच्चों को भी प्रतिस्पर्धी बनने की प्रेरणा दे रहे हैं। मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश शिक्षा का सबसे बड़ा हब होगा।


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