जौनपुर में पुल की बीम गिरने पर दो इंजीनियर निलंबित
जौनपुर के बक्शा में गोमती नदी पर बन रहा पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। करीब छह करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल की सीलिंग कल निर्माण के आधा घंटा के अंदर ही गिर गई।
लखनऊ। जौनपुर के बक्शा में गोमती नदी पर निर्माणाधीन पुल की बीम गिरने पर सेतु निगम प्रबंधन ने दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) राजन मित्तल की कार्रवाई की गाज जिन इंजीनियरों में पर गिरी है उनमें सहायक अभियंता अनुपम और अवर अभियंता चंद्रधन सिंह है। एमडी ने मामले की जांच गाजियाबाद के संयुक्त प्रबंध निदेशक (जेएमडी) वीके गुप्ता और वाराणसी के जेएमडी राकेश राजवंशी को सौंपी है।25 दिसंबर को रात में निर्माणाधीन पुल की 30 मीटर लंबी बीम छुंछा घाट पर तकनीकी लापरवाही के कारण पुल की बीम ढालने के तुरंत बाद ही गिर गई थी।
आधा घंटा में जमींदोज हो गई पुल की सीलिंग
जौनपुर के बक्शा में गोमती नदी पर बन रहा पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। करीब छह करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल की सीलिंग कल निर्माण के आधा घंटा के अंदर ही गिर गई।
सरकार के जिम्मेदार गोमती सेतु के निर्माण को लेकर कितने गंभीर हैं यह कल रात छुंछा घाट पर देखने को मिला। तकनीकी लापरवाही के कारण पुल का बीम ढालने के आधा घंटा के के अंदर ही गिर पड़ा। इसकी भनक लगते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जिम्मेदार लोग इस तकनीकी लापरवाही को अब दबाने में लगे हैं।
बसारतपुर करंजा कला मार्ग पर गोमती नदी पर आवागमन के लिए शासन ने छुंछा घाट पर पुल बनाने का निर्णय 2010 में लिया। 599.74 लाख रुपये की लागत से बनाए जाने वाले इस पुल के निर्माण के लिए राज्य सेतु निगम को जिम्मेदारी दी गई। सेतु निगम जौनपुर इकाई ने काम चरणबद्ध तरीके से शुरू कराया गया। कल रात रात दस बजे मजदूरों ने बीम ढाली, लेकिन करीब 10:30 बजे बीम टूटकर पानी में गिर गया। इसकी जानकारी मिलते ही उच्च अधिकारी भी हरकत में आ गए। यह लोग लापरवाही को दबाने के लिए जुट गये। इसके साथ ही नदी में गिरे सरिया को बाहर निकालकर पुन: काम में लेने का निर्णय भी लिया।
30 मीटर लंबी थी बीम
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो रात में 30 मीटर लंबी बीम ढाली गई थी। साथ ही 0.80 मीटर चौड़ी और दो इंच मोटी बीम तैयार की गई थी। जिसकी लागत करीब 25 लाख के आस-पास होगी।
नये वर्ष में मिलनी थी सौगात
गोमती नदी पर बन रहे सेतु को जनवरी तक तैयार करने की योजना बनी थी। कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव ने निर्माणाधीन इस पुल का निरीक्षण किया था। साथ ही जनवरी 2015 तक पूर्ण करने का निर्देश भी दिया था। 2013 में तत्कालीन सचिव सामान्य प्रशासन पीवी जगनमोहन ने भी निरीक्षण किया था। साथ जरूरी निर्देश दिया था।
सिकुडऩ के कारण हुआ ऐसा
सेतु निगम वाराणसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक राकेश राजवंशी ने बताया कि घटना की सूचना पर मैं स्वयं जाकर पुल का निरीक्षण किया। जिसमें पाया गया कि विभागीय अधिकारियों के तकनीकी चूक के कारण यह बीम नहीं गिरा, बल्कि बीम को ढालने के लिए लगाए गए टिप्स (लोहे का सांचा) में अत्यधिक ठंड के कारण सिकुडऩ हुआ जिससे सांचा क्रेक हो गया और बीम धराशायी हो गई।
डीएम ने गठित की जांच टीम
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने जांच कराने के लिए अधिकारियों की टीम गठित की है। उन्होंने बताया गठित टीम आज मौके पर जाएगी। साथ ही जांच रिपोर्ट से मुझे अवगत कराएगी। यदि संबंधित अधिकारियों की लापरवाही जांच में उजागर हुई तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।