बिसाहड़ा कांड : जयप्रकाश की आत्महत्या के बाद मुस्लिम परिवारों ने छोड़ा घर
जयप्रकाश की मौत के बाद गांव की महिलाओं ने मीडिया को एक बार फिर से खदेड़ लिया। महिलाओं को अपनी ओर आता देख टीवी चैनलों की ओवी वैन वहां से भाग निकली।
ग्रेटर नोएडा (प्रवीण सिंह) । बिसाहड़ा कांड की लपटें फिर से दूर तक पहुंचती दिख रही हैं। युवक जयप्रकाश की आत्महत्या के बाद मस्जिद वाली गली के समीप रहने वाले एक दर्जन से अधिक मुस्लिम परिवार घर छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। गांव में सत्तार, रइसुद्दीन, कलुआ, मुस्ताक, आलम बेग, अब्दुल लुहार समेत सभी के घर पर ताले लगे हुए हैं। इन परिवारों को डर है कि जयप्रकाश की मौत के बाद कहीं उन पर किसी तरह का दबाव न बनाया जाए। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि गांव में यह लोग रहेंगे या नहीं, फिलहाल दो मौतों से गांव में तनाव का माहौल है। जिला प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है कि गांव के लोग घर छोड़कर नहीं जाएं। इसके लिए जिलाधिकारी एनपी सिंह गांव में जगह-जगह बैठक कर रहे है। वह विश्वास दिला रहे हैं कि पूरे गांव में पहले जैसा माहौल होगा, बस सभी लोग मिलकर रहें।
गफ्फार ने बताया कि जयप्रकाश की मौत से अमन-चैन के माहौल को फिर करारा झटका लगा है। गफ्फार ने बताया कि जयप्रकाश की मौत से मुस्लिम समुदाय के लोग बहुत डरे हुए हैं। लोगों को डर है कि गांव का 100 साल का सौहाद्र्र कहीं इस घटना के बाद तार-तार न हो जाए।
बिगड़ रहा माहौल
कई दिनों से गांव में हिंदू और मुस्लिम नेताओं का आगमन लोगों को भड़काने का काम कर रहा है। मुस्लिम नेता आते हैं तो वह इकलाख के घर जाते हैं और हिंदू नेता आते हैं तो वह मंदिर या स्कूल पर हिंदूओं के साथ सभा करते हैं। इससे पूरे गांव का माहौल बिगड़ रहा है।
जमात उलेमा ङ्क्षहद कमेटी पहुंची
जमात उलेमा हिंद कमेटी के नेता बिसाहड़ा पहुंचे। कमेटी के नेता हसीमुद्दीन कासमी, कारी शौकत कासमी, जमील कासमी सहित कई अन्य नेताओं ने इकलाख के भाई जमील से मुलाकात कर घटना पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में हौसला बनाएं रखें, सभी लोग उनके साथ हैं।
गांव में बाहर से भी हटेगा मीडिया
जयप्रकाश की मौत के बाद गांव की महिलाओं ने मीडिया को एक बार फिर से खदेड़ लिया। महिलाओं को अपनी ओर आता देख टीवी चैनलों की ओवी वैन वहां से भाग निकली। उनको लगा कि कहीं गांव की महिलाएं फिर से ओवी वैन तोड़कर नुकसान न पहुंचा दे। आशंका जताई जा रही है कि महिलाओं के उग्र रूप को देखकर अब गांव के आसपास भी मीडिया का जमावड़ा नहीं लगेगा। वहीं महिलाओं की मांग पर ही जयप्रकाश की मौत के बाद मीडिया को गांव में प्रवेश मिला था।