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डीआइजी आवास पर सिपाही का शव: लाठी छिनी सहारा टूटा

लखनऊ। गोरखपुर डीआइजी आफिस में तैनात सिपाही अरुण चौधरी का शव गोरखपुर डीआइजी संजीव

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 11:09 AM (IST)
डीआइजी आवास पर सिपाही का शव: लाठी छिनी सहारा टूटा

लखनऊ। गोरखपुर डीआइजी आफिस में तैनात सिपाही अरुण चौधरी का शव गोरखपुर डीआइजी संजीव गुप्ता के लखनऊ स्थित निजी आवास में फांसी पर लटका मिला। आत्महत्या की वजह स्पष्ट नहीं है लेकिन किरन का सहारा टूट गया और उम्र के आखिरी पड़ाव पर मां-बाप की लाठी छिन गई। पोस्टमार्टम के बाद घरवाले शव को लेकर बस्ती चले गए। रिपोर्ट में मौत का कारण हैंगिंग है। अरुण की शादी नौ माह पहले हुई थी। गवने की रस्म अभी नहीं हो पाई थी।

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लखनऊ के विरामखंड गोमतीनगर स्थित गोरखपुर के डीआइजी संजीव कुमार गुप्ता के मकान में वर्ष 2011 बैच कासिपाही अरुण ठहरा था। पुलिस के मुताबिक सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे अरुण ने अपने पिता पैगापुर कप्तानगंज, बस्ती निवासी आज्ञाराम को फोन किया था। तब वह काफी परेशान था और पिता से कहा कि वह फांसी लगा लेगा। किसी अनहोनी की आशंका पर आज्ञाराम ने अपने परिचित लखनऊ निवासी अवधेश को फोन कर इसकी सूचना दी। अवधेश जब डीआइजी संजीव गुप्ता के मकान में पहुंचा तो कमरे में पंखे के कुंडे से अरुण का शव फांसी पर लटक रहा था। अवधेश की सूचना पर आज्ञाराम व अन्य परिवारीजन डीआइजी के घर पहुंचे। एसओ गोमतीनगर के मुताबिक आज्ञाराम ने कल तड़के साढ़े तीन बजे पुलिस को घटना की सूचना दी थी। आज्ञाराम ने तहरीर में भी बेटे अरुण के खुदकुशी करने की बात लिखी है। अरुण की शादी संतकबीरनगर में तैनात दारोगा रामसत की बेटी किरण से फरवरी में हुई थी। किरण महिला सिपाही है और बहराइच में तैनात है। एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि अरुण एक दिन पूर्व गोरखपुर से डाक लेकर आया था और डीआइजी के घर पर रुका था। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अरुण एक दिन पूर्व डीआइजी के साथ ही यहां आया था। हालांकि पुलिस अधिकारी इस बाबत कुछ स्पष्ट नहीं बता पा रहे हैं कि सिपाही अरुण यहां किस लिए आया था।

अरुण की मौत पर रोया पैकापुर

बस्ती के कप्तानगंज क्षेत्र के पैकापुर के आज्ञाराम चौधरी के बेटे अरुण कुमार के मौत ने समूचे गांव को रुला दिया। सभी की जुबान पर बस यही था कि अब किरन का क्या होगा। उम्र के आखिरी पड़ाव पर मां-बाप की लाठी कौन बनेगा। इसी साल 25 फरवरी को अरुण ने जिसकी मांग भारी उसका साथ महज सात दिन निभा पाया। नौकरी की व्यस्तताओं के चलते जब गया तो लौटा नहीं। नौ माह बाद आया तो उसका शव।

मां और बहन से की थी बात

अरुण वर्ष 2011 में हुई पुलिस परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गोरखपुर के डीआइजी कार्यालय में सेवाएं दे रहा था। इसी दरम्यान उन्होंने लखनऊ में निर्माणाधीन मकान की देखरेख के लिए भेज दिया। सोमवार को उसने दूरभाष से अपनी मां सुनीता और बहन पूजा से लंबी बात की। अंत में जब वह कहा कि यही मेरी आखिरी बात है, तो उसकी बात के बदले लहजे को सुनकर मां और बहन असहज तो हुई, लेकिन समझ नहीं पाई। थोड़ी ही देर बाद उसकी मौत की सूचना मिली। मंगलवार शाम जब उसका शव पहुंचा तो घर में कोहराम मच गया। डीआइजी संजीव गुप्ता ने अरुण के घर पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी।

पांच दिसंबर को गवना

अरुण की शादी नौ माह पहले हो गई थी लेकिन गवने की रस्म पूरी नहीं हो पाई थी। इसके लिए पांच दिसंबर की तारीख तय की गई थी लेकिन नियति को शायद यह मंजूर नहीं था। बहराइच में सिपाही पद पर तैनात किरन को घटना की जानकारी किसी ने नहीं दी। संत कबीरनगर जिले के नाथनगर थाने पर तैनात दारोगा रामशब्द चौधरी ने बेटी किरन की शादी जब अरुण से तय की तो सपने में भी नहीं सोचा था कि यह दिन भी देखना पड़ेगा।


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