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यूपी विधानसभाः आजम खां समेत 20 विधायकों ने नहीं ली शपथ

यूपी विधानसभा में दूसरे दिन आज 64 सदस्यों ने शपथ ग्रहण की। पूर्व मंत्री आजम खां व उनके पुत्र सहित 20 सदस्यों ने अभी तक शपथ ग्रहण नहीं की है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 09:58 PM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 10:07 PM (IST)
यूपी विधानसभाः आजम खां समेत 20 विधायकों ने नहीं ली शपथ
यूपी विधानसभाः आजम खां समेत 20 विधायकों ने नहीं ली शपथ
लखनऊ (जेएनएन)। यूपी विधानसभा में अब तक 383 विधायक शपथ ले चुके हैं। दूसरे दिन आज 64 सदस्यों ने शपथ ग्रहण की। पूर्व मंत्री आजम खां व उनके पुत्र सहित 20 सदस्यों ने अभी तक शपथ ग्रहण नहीं की है। आज शपथ लेने वालों में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, शिवपाल यादव, नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी, दलवीर सिंह, पंकज सिंह, मुख्तार अंसारी और पारसनाथ यादव प्रमुख रहे। विधानसभा मंडप में रामपाल वर्मा ने शपथ दिलायी। सपा के शिवपाल यादव पहले सत्ता पक्ष की ओर लाबी में चले गए परंतु बाद में विपक्षी सदस्यों के बीच पहुंचे और पीछे की पंक्ति में बैठ गए। बामुश्किल सदन में दस मिनट ठहरे शिवपाल से मिलने में सपा के सदस्यों ने अधिक उत्साह नहीं दिखाया। नेता विपक्ष रामगोविंद चौधरी भी शपथ लेने के तुरंत बाद शिवपाल के आने से पहले ही बाहर चले गए थे। 
संस्कृत के साथ उर्दू भी
शपथ ग्रहण के समय आज गंगा जमुनी तहजीब जैसा नजारा भी दिखा। संस्कृत में शपथ लेने का सिलसिला जारी रहा। पहले डा. राधामोहन दास अग्रवाल ने संस्कृत में शपथ ली। वहीं पहली बार विधानसभा में पहुंचे विनयशंकर तिवारी ने भी संस्कृत में शपथ लेकर सब को चौंका दिया। भाजपा के अलावा अन्य किसी दल से संस्कृत में शपथ लेने वाले विनयशंकर पहले सदस्य थे। बता दे कि विनयशंकर गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर बसपा के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए है। बलिया के आनंद स्वरूप शुक्ल ने भी संस्कृत में शपथ ग्रहण की। आज भी 13 सदस्यों ने संस्कृत भाषा में शपथ ली थी। हिंदी व संस्कृत के अलावा उर्दू में शपथ लेने की पहल आजमगढ के नफीस अहमद और आलम बदी ने की। दोनों को उर्दू के साथ ही हिंदी में भी शपथ दिलायी गयी। इस पर मंडप के बाहर आकर एतराज जताते हुए नफीस अहमद ने कहा कि जब संस्कृत में शपथ लेने वालों से दोबारा हिंदी  में शपथ को बाध्य नहीं किया गया तो उर्दू वालों के साथ ऐसा क्यों किया गया? 
एक साल तक शपथ नहीं ले सका
उर्दू में शपथ लेने के बाद आलम बदी आभार जताना नहीं भूले। आसन से ही उन्होंने सतीश महाना को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 1996 में उर्दू में शपथ ग्रहण करने की व्यवस्था नहीं होने के कारण वह करीब एक साल तक शपथ नहीं सके थे। उन्होंने उर्दू में शपथ लेने की व्यवस्था को सराहा लेकिन, हिंदी में शपथ लेते समय दोनों ही सदस्यों के शब्दों के उच्चारण में कई बार सुधार को टोकना पड़ा। विधानसभा मंडप में समय से नहीं पहुंच सकने वाले 11 सदस्यों को अध्यक्ष के कक्ष में रामवीर उपाध्याय ने शपथ दिलायी। वहां शपथ लेने वालों में दलवीर सिंह व पंकज सिंह प्रमुख थे।
सपा में हाशिए पर पहुंचते आजम 
भाजपा की आंधी में आजम खां भले ही अपनी सीट बचाने व अपने पुत्र को जिताने में कामयाब रहे लेकिन, सपा में उनकी उपेक्षा किसी से छिपी नहीं। माना जा रहा था कि आजम को नेता विरोधी दल जैसा दायित्व सौंपा जाएगा। ऐसा नहीं हो सका तो पार्टी के भीतर आजम की पकड़ कमजोर होने की चर्चा चल रही है। इतना ही नहीं सपा में बदले निजाम में आजम से महत्वपूर्ण फैसलों पर सलाह लेना भी जरूरी नहीं समझा जा रहा। इसी कारण अखिलेश को विधानमंडल दलनेता बनाने जैसे निर्णय आजम की गैरमौजूदगी में ले लिए गए।
लालबत्ती और बंगला भी गया
रामगोविंद चौधरी को नेता विरोधी दल बनाए जाने के फैसले से आजम की सदन में न केवल धमक घटेगी बल्कि उन्हें विक्रमादित्य मार्ग स्थित सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा। आजम नेता विरोधी दल बने होते तो वह कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधाओं के हकदार होते लेकिन, ऐसा न हो सका। सूत्रों का कहना है कि सदन में अक्सर भाजपा और बसपा पर हमलावर रहने वाले कांग्रेस के भी धुर विरोधी रहे हैं। नेता विरोधी दल न बनने से उनका सदन में मनमाने ढंग से गरज पाना मुमकिन न होगा। 
रामपुर में डटे आजम, चुप्पी साधी
आजम खां शपथ लेने लखनऊ नहीं गए। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और करीबी नसीर खां ने भी अभी तक शपथ नहीं ली है। रामपुर की पांच विधानसभा सीटों में तीन पर सपा व दो पर भाजपा जीती है। भाजपा के दोनों विधायक शपथ ले चुके हैं परंतु नवीं बार विधायक चुने गए आजम नहीं पहुंचे। स्वार टांडा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम खां और चमरौआ विधानसभा सीट से पहली बार चुने गए उनके मित्र नसीर खां भी शपथग्रहण में शामिल नहीं हुए। आजम इससे पहले विधायकों व एमएलसी की बैठक में भी शामिल नहीं हुए और रामपुर में ही रहे। बुधवार को उनके करीबी रहे उत्तर प्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण के सदस्य अधिवक्ता सरबत अली खां का निधन हो गया। वह उनके जनाजे की नमाज में शामिल हुए और कहा कि वह तीन दिन शोक मनाएंगे और किसी राजनीतिक कार्यक्रम या शादी समारोह में शामिल नहीं होंगे। शपथ ग्रहण में क्यों नहीं पहुंचे, इसके जवाब में कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

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