नामी बिल्डरों को ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी
लखनऊ : अब तक मनमानी करते आए बिल्डरों पर शिकंजा कसने लगा है। प्रशासन ने उन बिल्डरों को काली सूची में
लखनऊ : अब तक मनमानी करते आए बिल्डरों पर शिकंजा कसने लगा है। प्रशासन ने उन बिल्डरों को काली सूची में डालने का फैसला किया है जो आवंटियों से पैसा लेने के बावजूद रजिस्ट्री करने से कतरा रहे हैं। प्रशासन ने निबंधन विभाग की रिपोर्ट पर रोहतास बिल्डर को नोटिस भी जारी कर दिया है।
राजधानी में बीते कुछ सालों में हजारों की तादात में रियल एस्टेट कंपनियों और निजी बिल्डरों ने सैकड़ों की संख्या में फ्लैट खड़े कर दिए हैं। हजारों फ्लैट ऐसे भी हैं जिनमें आवंटियों ने पैसा ले लिया मगर रजिस्ट्री नहीं की। ऐसे में पूरे भुगतान के बावजूद आवंटी अब तक कानूनी रूप से मालिक नहीं बन पाए हैं। रोहतास बिल्डर के विभूतिखंड और आशियाना स्थित आवंटियों ने प्रशासन से मामले की शिकायत की। बताया कि रजिस्ट्री कराने में बिल्डर टालमटोल कर रहे हैं। जिससे उनके कई अहम काम रुके पड़े हैं। शिकायत पर अपर जिलाधिकारी वित्त और राजस्व शत्रुघ्न सिंह ने एआईजी निबंधन एसके त्रिपाठी से बिल्डर द्वारा अब तक किए गए बैनामों का ब्योरा मांगा था। निबंधन विभाग ने सब रजिस्ट्रारों से रोहतास बिल्डर का ब्योरा तलब किया तो करीब 300 से अधिक ऐसे फ्लैट निकले जिनके बैनामे अब तक नहीं हो पाए हैं। इसी तरह शहर के कई ऐसे बिल्डर हैं जो आवंटियों से पैसा तो पूरा ले चुके हैं लेकिन रजिस्ट्री करने से कतरा रहे हैं। एडीएम एफआर के मुताबिक बिल्डर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है। अगर तय समय के भीतर रजिस्ट्री नहीं की तो फिर प्रशासन एफआइआर के अलावा ऐसे बिल्डरों को काली सूची में भी डालने की सिफारिश करेगा।
निबंधन विभाग ने एलडीए और आवास विकास भी ब्योरा मांगा
उधर कम होती रजिस्ट्री को देखते हुए निबंधन विभाग उन अपार्टमेंट का सर्वे करा रहा है जहां पर फ्लैट तैयार हो गए हैं और लोग रहने भी लगे हैं। सब रजिस्ट्रार के मुताबिक निजी बिल्डरों और रियल एस्टेट कंपनियों के अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास से भी तैयार हो चुके फ्लैटों की सूची मांगी गई है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि जिन फ्लैटों का आवंटी भुगतान कर चुके हैं उनकी रजिस्ट्री कराई जा सके।
अफसरों के पास आने लगे बिल्डरों के फोन
प्रशासन की सक्रियता से उन बिल्डरों में खलबली मच गई है जो आंवटियों का पैसा दबाए बैठे हैं। दरअसल कई ऐसे भी बिल्डर हैं जिन्होंने आवंटियों से पैसा तो लेकर कब्जा दे दिया मगर एलडीए या अन्य कानूनी पेंच के चलते रजिस्ट्री नहीं कर सकते। कई ऐसे भी हैं जिन्होंने नंबर दो में पैसा तो ले लिया लेकिन अब रजिस्ट्री करने से कतरा रहे हैं। ऐसे में बिल्डरों ने हर तरफ से दबाव बनाना शुरू कर दिया है अफसरों के पास सिफारिशें फोन आने लगे हैं।