साबित करें अपना स्वामित्व तब जुड़ेगा वोटर लिस्ट में नाम
-छावनी परिषद की मतदाता सूची से कट गए 13 हजार नाम -आदेश की सही व्याख्या न करने से महासंघ नाराज, भे
-छावनी परिषद की मतदाता सूची से कट गए 13 हजार नाम
-आदेश की सही व्याख्या न करने से महासंघ नाराज, भेजा रक्षामंत्री को पत्र
केस एक : हाता रामदास के प्रवीण कुमार हर बार लोकसभा, विधान सभा और छावनी परिषद चुनाव में वोट डाल लेते थे। अब लोकसभा और विधान सभा चुनाव में तो मतदान कर सकेंगे, लेकिन छावनी परिषद के चुनाव में वोट डालने का अधिकार उनको नहीं होगा।
केस दो : वार्ड सात की आशा कॉलोनी की रहने वाली रेशमा भी अब छावनी परिषद के चुनाव में अपना वोट नहीं डाल सकेंगी। हालांकि उनको लोकसभा और विधान सभा में वोट डालने का अधिकार होगा।
जागरण संवाददाता, लखनऊ : आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए छावनी के हजारों मतदाता अपना सांसद और विधायक तो चुन सकेंगे, लेकिन क्षेत्रीय समस्या को दूर करने के लिए अपने पसंद का सदस्य चुनने के लिए वोट नहीं डाल सकेंगे। छावनी परिषद प्रशासन ने अपनी मतदाता सूची से करीब 13 हजार मतदाताओं के नाम काट दिए हैं। छावनी परिषद 15 सितंबर को मतदाता सूची का प्रकाशन करेगा। इससे पहले मतदाताओं को अपना दावा करने का एक मौका दिया गया है। वहीं ऑल इंडिया छावनी परिषद महासंघ ने रक्षा मंत्रालय पर आदेश की सही व्याख्या न करने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत दर्ज करा दी है।
सभी छावनी परिषद हर साल जुलाई से अगस्त के बीच अपनी मतदाता सूची तैयार करती हैं। छावनी परिषद एक्ट 2006 में जहां छह माह से लगातार रहने वाले व्यक्ति को मतदान करने का अधिकार होता है, वहीं सेना के जवानों को भी उनकी बैरक नंबर के आधार पर वोट डालने की विशेष सुविधा दी जाती है। पिछले दिनों रक्षा मंत्रालय ने लखनऊ सहित देश की सभी छावनियों को उनके यहां मतदाता सूची बनाते समय ऐसे मतदाताओं के नाम काटने के आदेश दिए थे, जिनकी संपत्ति पर छावनी परिषद का सर्वे नंबर दर्ज नहीं है। ऐसे करीब 13 हजार मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए। इसमें सबसे अधिक वार्ड नंबर आठ के करीब चार हजार मतदाताओं के नाम उड़ा दिए गए। जिसमें पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानियां का नाम भी शामिल है। वहीं वार्ड संख्या सात से करीब 1100 और वार्ड छह से लगभग 2500 मतदाताओं के नाम काट दिए गए।
साबित करना होगा अपना दावा : अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के लिए मतदाताओं को अपना स्वीकृत बिल्डिंग प्लान या फिर मकान पर दर्ज सर्वे नंबर के दस्तावेज दिखाने होंगे।
गलत हुई व्याख्या : महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री और पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानियां ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के जिस आदेश का हवाला देकर रक्षा मंत्रालय ने अतिक्रमण और अवैध निर्माण करने वालों के नाम मतदाता सूची से काटने के आदेश दिए हैं। उस आदेश की सही व्याख्या ही नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 60 पेज के आदेश में कहा है कि वोटर लिस्ट बनाते हुए सर्वे नंबर एक लाइन से होना चाहिए, जबकि एक्ट में साफ है कि छह महीने से अधिक समय से किसी भी हालत में क्षेत्र में रहने वाले 18 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को मतदान का अधिकार होगा। इसे लेकर रक्षा मंत्री को पत्र लिखा गया है। जरूरत पड़ने पर उनका घेराव भी होगा।
कोट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही ऐसे मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे गए हैं जिनके मकान पर सर्वे नंबर दर्ज नहीं है। लोग अपना दावा करें तो मामले की सुनवाई होगी। जिसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
-एनवी सत्यनारायण, सीईओ छावनी परिषद