रिकॉर्ड बेहतर रखने को यात्रियों की जान से खेल रहा रेलवे
आए दिन बिना ब्लॉक व सूचना के खोल दी जाती है रेल लाइन दो महीने में तीन ट्रेनें दुर्घटना का शिकार ह
आए दिन बिना ब्लॉक व सूचना के खोल दी जाती है रेल लाइन
दो महीने में तीन ट्रेनें दुर्घटना का शिकार होने से बची
केस एक
बीती फरवरी में अमौसी के पास बिना सूचना के रेल लाइन खोल दी गई। चल रहे मरम्मत कार्य के बीच बरौनी मेल पहुंच गई। ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी।
केस दो
मार्च में मानकनगर स्टेशन पर सिग्नल प्वाइंट की मरम्मत के लिए स्टेशन मास्टर को बिना सूचना दिए लाइन खोल दी गई। इस बीच एलटीटी गोरखपुर सुपरफास्ट आ गई। हालांकि ड्राइवर की सूझबूझ से हादसा टला।
जागरण संवाददाता, लखनऊ :
चोरी छिपे मेंटीनेंस कराने का ताजा मामला उन्नाव स्टेशन पर सामने आया है। जहां रविवार को एलटीटी-लखनऊ एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस हादसे का शिकार होने से बच गई। यहां भी ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया जिससे इसकी 11 बोगियां पटरी से उतर गई।
एलएचबी बोगियों के नए रैक और प्लेटफार्म की लूप लाइन पर होने के कारण एसी एक्सप्रेस हादसे में रेलवे को 12 करोड़ रुपये की चपत लग गई। इन 11 एलएचबी बोगियों की लागत करीब 12 करोड़ रुपये थी, जो अब दोबारा पटरी पर नहीं दौड़ सकेंगी, क्योंकि संरक्षा मानकों को देखते हुए पटरी से उतरी बोगी और इंजन दोबारा इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं। दरअसल, कागजों पर परिचालन रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए चोरी छिपे बिना ब्लॉक लेकर काम करवाने का चलन पिछले तीन साल में तेजी से बढ़ा है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो रेलवे बोर्ड परिचालन स्थिति को बेहतर करने पर अधिक दबाव दे रहा है। जिस मंडल की रिपोर्ट गड़बड़ होती है वहां के अफसरों को नाराजगी झेलनी पड़ती है। यही कारण है कि रेलवे बोर्ड कई रूटों पर पटरियों की नियमित मरम्मत के लिए ब्लॉक नहीं देता है। इसलिए जिन रूटों पर एक ट्रेन के गुजरने के बाद और दूसरी ट्रेन के आने तक दो घंटे से अधिक समय का रहता है, वहां इंजीनिय¨रग और सिग्नल अनुभाग के कर्मचारी लाइन मरम्मत में जुट जाते हैं। इसकी सूचना न तो वह स्टेशन मास्टर को देते हैं, न ही कंट्रोल रूम को पता रहता है।
यहां फंसता है मामला
मानकनगर ंव अमौसी में बिना सूचना काम करने पर ट्रेन आ जाने के मामले में पता चला कि कर्मचारी तय समय के भीतर काम पूरा नहीं कर सके। एक बार लाइन को खोलने के बाद उसे छोड़ा नहीं जा सकता। इस काम की अनुमति नहीं ली जाती है इसके चलते काम पूरा होने की सूचना तक नहीं दी जाती है और खुली पटरी तक ट्रेन आने पर हादसे की आशंका रहतीे है।