संपादित :::: प्रदूषण मुक्त होंगी राप्ती, आमी नदी
जागरण संवाददाता, लखनऊ : देर से सही, आमी नदी के प्रदूषण का मामला आखिर सरकार की प्राथमिकताओं में आ ही
जागरण संवाददाता, लखनऊ : देर से सही, आमी नदी के प्रदूषण का मामला आखिर सरकार की प्राथमिकताओं में आ ही गया। पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव को राज्य पर्यावरण विभाग की टेक्नीकल सलाहकार कमेटी ने हरी झंडी दे दी है। इसके जरिये गोरखपुर के रामगढ़ व राप्ती नदी के प्रदूषण का भी आंकलन किया जा सकेगा। यही नहीं, गोरखपुर की सभी वॉटर बॉडी में प्रदूषण की क्या स्थिति है इसकी भी पड़ताल की जाएगी।
सोहनारा से निकली आमी, राप्ती की सहायक नदी है। यह सिद्धार्थ नगर, संत कबीर नगर, बस्ती के लाखों लोगों की जीवन रेखा है। इसमें पेपर मिल, डिस्टीलरी का दूषित पानी गिरता है। इसके चलते 126 किमी. लंबी यह नदी बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है। आगे राप्ती नदी में मिल जाती है। इस कारण राप्ती भी दूषित हो गई है। विभागों को आमी के प्रदूषण की पूरी जानकारी है। फिर भी इसे बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। हालांकि पूर्व में इस नदी को प्रदूषण मुक्त करने केलिए स्थानीय लोगों ने भी आवाज बुलंद की। विभिन्न संस्थाओं ने भी अध्ययन रिपोर्ट के जरिये विभाग को बताया लेकिन हुआ कुछ भी नहीं।
अब गोरखपुर के सभी जलाशयों व नदी जल की गुणवत्ता की समग्र रूप से जांच कराने का फैसला पहली बार लिया गया है।
ओएसडी डॉ.एए खान ने बताया कि न केवल जल गुणवत्ता की जांच कराई जाएगी बल्कि प्रदूषण के सोर्स का भी पता लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कानपुर आइआइटी से अध्ययन कराने के बाद एक्शन प्लान तैयार कर रामगढ़ ताल, आमी व राप्ती को प्रदूषण मुक्त करने की कवायद शुरू की जाएगी। अध्ययन तीन माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद नदी को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए काम शुरू कराया जाएगा।
सीवरेज सिस्टम न होना बड़ी मुश्किल
गोरखपुर में सीवरेज सिस्टम नहीं है। ऐसे में शहर की गंदगी व सीवरेज 18 किमी. व 723 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले रामगढ़ ताल में जाती है। इसके अलावा बीते कुछ सालों में ताल के चारों ओर अतिक्रमण हुआ है। बड़ी संख्या में आवासीय कॉलोनी भी बस चुकी हैं। इनका भी कचरा ताल को दूषित कर रहा है।