मृत शिक्षक जांचेगा बोर्ड परीक्षा की कांपी!
- बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा शिक्षा विभाग - मूल्यांकन ड्यूटी में बोर्ड द्वारा बरती गई लापरव
- बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा शिक्षा विभाग
- मूल्यांकन ड्यूटी में बोर्ड द्वारा बरती गई लापरवाही
जागरण संवाददाता, लखनऊ : अपने अजब-गजब कारनामों से चर्चा में रहने वाला यूपी बोर्ड एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी में है। बोर्ड द्वारा मूल्यांकन कार्य में ऐसे शिक्षक को लगाया गया है,जिसकी करीब एक वर्ष पूर्व मृत्यु हो चुकी है। यह इकलौता उदाहरण नहीं है। ऐसे तमाम मामले हैं, जिन्हें लेकर बोर्ड सवालों के घेरे में हैं। साफ है कि मूल्यांकन कार्य के लिए बोर्ड द्वारा परीक्षकों की तैनाती जबरदस्त लापरवाही बरती गई है। विषय विशेषज्ञ द्वारा मूल्यांकन न किए जाने से बच्चों को सही अंक मिलेंगे इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दरअसल नेशनल इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल और रसायन विज्ञान के प्रवक्ता रहे दशरथ सिंह को बीते वर्ष निधन हो गया। इसके बावजूद इनकी ड्यूटी अमीनाबाद इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट की कॉपी जांचने के लिए लगा दिया गया।
अंग्रेजी का टीचर जांचेगा उर्दू की कॉपी
नगराम क्षेत्र के अचली खेड़ा स्थित विद्यालय में तैनात अंग्रेजी विषय के शिक्षक श्रीप्रकाश सिंह को उर्दू की कापी जांचने के लिए लगाया गया है।
केस-2 : शिक्षक अरविंद कौशल हजरतगंज क्षेत्र के विशन नरायन इंटर कॉलेज में तैनात हैं। वह हाईस्कूल में गणित विषय के टीचर हैं। विद्यालय को इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग की मान्यता नहीं है। इसके बावजूद उन्हें इंटरमीडिएट गणित विषय का परीक्षक बना दिया गया।
इनसेट
मूल्यांकन ड्यूटी में शिक्षा विभाग द्वारा बरती गई लापरवाही का खामियाजा सीधे तौर पर बच्चों को भुगतना पड़ सकता है। यदि सही से कॉपी न जांची गई तो बच्चों के रिजल्ट पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
बॉक्स
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने बताया कि दशरथ सिंह चौहान की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद भी उनकी ड्यूटी मूल्यांकन के लिए लगा दी गई है। बोर्ड द्वारा मूल्यांकन ड्यूटी में हर बार व्यापक स्तर पर लापरवाही बरती जाती है। कई बार गलत शिक्षकों से भी मूल्यांकन की संभावना रहती है।
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स्कूल के प्रधानाचार्यो द्वारा शिक्षकों का ब्योरा आनलाइन मुहैया कराया गया है। उनके द्वारा अपडेट या सही जानकारी न दिए जाने से ऐसा हुआ होगा। इस संबंध में जो भी त्रुटियां जानकारी में आती हैं, तत्काल सही की जाएंगी। प्रधानाचार्यो को यह भी निर्देश दिया गया है कि परीक्षकों की अर्हता की जांच कर पात्रता सुनिश्चित कर लें।
शैल कुमारी यादव, सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद