'कला की हर विधाओं में उप्र आगे बढ़े'
लखनऊ : संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि देश में उत्तर प्रदेश हमेशा हर क्षेत्र में अग्र
लखनऊ : संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि देश में उत्तर प्रदेश हमेशा हर क्षेत्र में अग्रणी रहा है। हमारी कोशिश रहेगी कि उप्र चित्रकारी के साथ अन्य विधाओं में भी आगे बढ़े। प्रदेश में पर्यटन बढ़े और यहां के कलाकारों को रोजगार मिले। यह हमारी प्राथमिकता रहेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री के मिशन में शामिल होने की लोगों से अपील की।
यह बातें उन्होंने राज्य ललित कला अकादमी की ओर से आमंत्रित कला प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में कहीं। वह कैसरबाग की लाल बारादरी में आयोजित प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहे। कैबिनेट मंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने चित्रों का अवलोकन किया और उनके बारे में जाना। उन्होंने कहा कि कला एक ऐसी खास विद्या है, जो व्यक्ति के दिलों तक पहुंचती है। कलाकार ने अपनी कला से ही इंसान को ईष्ट देवों से रूबरू कराया। कला भावनाओं को छूकर हमे विश्वास दिलाती है। उन्होंने कलाकारों की समस्याओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने का भरोसा जताया। कैबिनेट मंत्री ने प्रदर्शनी में शामिल मीरजापुर के चित्रकार जयंशकर मिश्रा के पुत्र ज्ञानेंद्र शंकर मिश्रा और कृष्णा त्रिवेदी को स्मृति चिंह व अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर उप्र राज्य पुरातत्व निदेशालय के उप निदेशक पीके सिंह और अकादमी के सचिव डॉ. यशवंत सिंह राठौर सहित कई कला प्रेमी उपस्थित रहे। प्रदर्शनी एक अप्रैल तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। दर्शक सुबह 11 से शाम सात बजे तक प्रदर्शनी का देख सकेंगे।
भगवान की लीलाओं संग बयां की विकास की तस्वीर
भगवान शिव द्वारा पार्वती जी का हाथ पकड़कर क्रिड़ा गृह में प्रवेश का दृश्य देख दर्शक दंग रहे गए। महाकवि कालिदास रचित 'कादम्बरी ग्रंथ' के मेघदूत पर आधारित भारतीय पारंपरिक चित्रकला कृतियों को देख दर्शक भगवान की लालीओं में गुम हो गए।
मीरजापुर के वरिष्ठ चित्रकार जयशकर मिश्र ने भगवान की लीलाओं के साथ ऋतुओं और बनारस के घाट को दृश्यों को उकेर दर्शकों का दिल जीत लिया। वहीं, युवा चित्रकार कृष्णा त्रिवेदी की वॉश पेंटिग शैली में प्रागैतिहासिक काल के प्रतीकों पर केंद्रित कृतियों को देखने के लिए दर्शकों की भीड़ जुटी। कलाकार कृष्णा त्रिवेदी ने अपनी कृतियों के बारे में बताया कि भारतीय संस्कृति में पैर छूने की परंपरा को आधार बनाकर उन्होंने अपनी सभी कृतियों में पांव को आधार बनाया है। उनका मानना है कि पांव ही इंसान की आधार शिला होते हैं। उन्होंने पांव को आधार बनाते हुए गांव के विकास की तस्वीर बयां की। साथ ही शहर और गांव के दूर होते अंतर को भी दर्शाया। उन्होंने अपनी कृतियों में भगवान शिव की मुद्राओं के साथ प्रेम का संदेश देते पक्षियों को भी शामिल किया। प्रदर्शनी में 86 कृतियों को शामिल किया गया।