बीजीआर कितनी असरदार, परखेगा बीएचयू
- सीएसआइआर ने दी मधुमेहरोधी औषधि के व्यापक परीक्षण की जिम्मेदारी जागरण संवाददाता, लखनऊ राष्ट्री
- सीएसआइआर ने दी मधुमेहरोधी औषधि के व्यापक परीक्षण की जिम्मेदारी
जागरण संवाददाता, लखनऊ
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) व केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप)द्वारा विकसित मधुमेह की दवा बीजीआर-34 मधुमेह रोगियों के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है। वनस्पतियों से तैयार यह हर्बल औषधि बगैर किसी साइड इफेक्ट के लोगों को लाभ पहुंचा रही है। यह पहला मौका है जबकि कंपनी ने मधुमेहरोधी आयुर्वेद औषधि के परीक्षण से जुड़े आंकड़े क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआइ) से साझा किए हैं। वहीं, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) ने एक कदम और बढ़ाते हुए बीजीआर-34 से जुड़े व्यापक परीक्षणों को बीएचयू के आयुर्वेद विभाग से कराने का निर्णय लिया है। माना जा रहा है कि सीएसआइआर के इस फैसले से परीक्षण और भी व्यापक तरह से हो सकेगा। जानकारी के अनुसार इसके परिणाम एक साल में प्राप्त हो जाएंगे।
बताते चलें कि वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद में पहले से प्रयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों मजीठ, मेथी, गुडमार, गिलोय, विजयसार व दारुहरिद्र से तैयार किया है। मजीठ में एंटीऑक्सीडेंट, मेथी में माइक्रोन्यूट्रीयंटस, गुडमार में ब्लड ग्लूकोज नियंत्रित करने की क्षमता है। वहीं घर-घर उगाई जाने वाली गिलोय में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व विजयसार में फ्लेवेनॉयड पाया जाता है और दारुहरिद्र पैंक्रियाज के लिए बहुत अच्छा है। वैज्ञानिक बताते हैं कि बीजीआर डायबिटीज के कारण होने वाली अन्य समस्याओं को भी रोकता है।