रियल फाइटर बनकर हादसे से उबरी क्वीन मेरी में झुलसी नवजात
-क्वीनमेरी अस्पताल के एनएनयू हादसे में झुलसी नवजात का मामला -बुधवार को हो सकती है डिस्चार्ज, मां-ब
-क्वीनमेरी अस्पताल के एनएनयू हादसे में झुलसी नवजात का मामला
-बुधवार को हो सकती है डिस्चार्ज, मां-बाप मान रहे बेटी को रियल फाइटर
जागरण संवाददाता,लखनऊ: 'मेरी बिटिया रियल फाइटर है, जितनी दवा और दुआ हमने की वो तो अलग है, लेकिन मेरी नन्ही सी बच्ची इतने बड़े हादसे से उबर आई यह भी बड़ी बात है'। बोलते हुए रितेश के आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। क्वीनमेरी अस्पताल के एनएनयू के हादसे में झुलसी नवजात मौत के मुंह से बाहर निकल आई है। मां-बाप और डॉक्टरों के अलावा बच्ची की सलामती के लिए लाखों लोगों की दुआ भी रंग लाई है। बच्ची को बुधवार को डिस्चार्ज किया जाएगा।
मैनेनजाइटिस और झुलसने से गंभीर हो गई थी हालत
पैदा होने के बाद से ही नवजात मैनेनजाइटिस से पीड़ित थी। जिसकी वजह से उसे क्वीनमेरी अस्पताल के एनएनयू में भर्ती किया गया था। वहीं हादसे में उसे 25 प्रतिशत बर्न हो गया था। ट्रॉमा सेंटर के एनआइसी में बच्ची बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. माला कुमार की देखरेख में भर्ती रही। वहीं बच्ची की हालत देखते हुए डॉक्टर भी दवा के साथ दुआ की बात कर रहे थे। लगातार समाचार पत्रों खबर छपने की वजह से बच्ची के ठीक होने की दुआ सभी कर रहे थे। वहीं रेजिडेंट डॉक्टरों से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ ने भी बच्ची की देखभाल में दिन रात एक कर दिए।
काम आई जागरूकता
क्वीनमेरी अस्पताल के एनएनयू में इंक्यूबेटर के ऑक्सीजन मॉस्क में आग पकड़ने पर 24 दिसंबर को आशियाना निवासी रितेश बाजपेई और कविता बाजपेई की नवजात का चेहरा और पीठ बुरी तरह से झुलस गई थी। इसके बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने उसे आनन-फानन ट्रॉमा सेंटर के एनआइसीयू में शिफ्ट कर दिया था। रितेश बाजपेई ने बच्ची के जलने के मामले में रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा छिपाए जाने को मीडिया में उठाया जिसके बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया और बच्ची के इलाज के प्रति गंभीरता लाई गई।
इलाज मिला मगर नहीं मिला इंसाफ
बच्ची के पिता रितेश ने बताया कि केजीएमयू में उन्हें किसी तरह से इलाज तो मिल गया लेकिन हादसे के कारण और उसके जिम्मेदार किसी भी डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि कुलपति प्रो.रविकांत, सीएमएस और क्वीनमेरी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक प्रो.एसपी जैसवार तक लिखित शिकायत भी की लेकिन किसी ने भी मामले की सुध नहीं ली। कार्रवाई के नाम पर इसे मानवीय भूल करार दे दिया गया, लापरवाही का ठीकरा किसी नर्स पर फूटा लेकिन उसे भी हटाया गया कि नहीं यह मालूम नहीं है। राज्यपाल को भी ई-मेल से मामले की जांच के लिए मांग की गई थी, लेकिन कहीं से भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
कोट
बच्ची को जलने से किसी तरह का इंफेक्शन नहीं हुआ है। एंटीबायोटिक्स का कोर्स बुधवार तक पूरा हो जाएगा, अल्ट्रासाउंड करवाना है। बाकि उसे फॉलो अप ट्रीटमेंट के लिए बुलवाया जाएगा। संभवत:बच्ची बुधवार को डिस्चार्ज कर दी जाएगी।
प्रो.माला कुमार, बाल रोग विशेषज्ञ