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संपा : प्रबंध नगर में बनेगा देश का सबसे बड़ा पार्क

फिर उठा मामला - एलडीए उपाध्यक्ष ने सीटीपी से बोले प्रोजेक्ट को पहनाया अमली जामा - प्रबंध नगर क

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 09:39 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 09:39 PM (IST)
संपा : प्रबंध नगर में बनेगा देश का सबसे बड़ा पार्क

फिर उठा मामला

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- एलडीए उपाध्यक्ष ने सीटीपी से बोले प्रोजेक्ट को पहनाया अमली जामा

- प्रबंध नगर की ग्रीन बेल्ट को पार्क में बदलने की थी योजना

जागरण संवाददाता, लखनऊ : एलडीए उपाध्यक्ष ने प्रबंध नगर की ग्यारह सौ एकड़ जमीन पर देश का सबसे बड़ा पार्क बनाने की कवायद शुरू कर दी है। वर्तमान में 376 एकड़ में फैला गोमती नगर का जनेश्वर मिश्र पार्क सबसे बड़ा है। एलडीए उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह के मुताबिक 2800 एकड़ में ग्यारह सौ एकड़ जमीन ग्रीन बेल्ट है। इसलिए यहां वैसे भी कोई निर्माण नहीं हो सकता।

उपाध्यक्ष ने सोमवार को नवनियुक्त मुख्य नगर नियोजक एससी गोयल को सात माह पहले तैयार कराए गए प्लान को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यह पुरानी योजना है, इसे अमल में लाया जाए। उनके मुताबिक पार्क में सभी स्तर की सुविधाएं होंगी। जनेश्वर मिश्र पार्क से यह तीन गुना बड़ा होगा।

सवाल खड़ा होता है कि किसान इस जमीन पर वर्ष 2010 से एलडीए को कब्जा नहीं करने दे रहे हैं। यहां आज भी खेती हो रही है। डेढ़ हजार किसान ने एक रुपये मुआवजे के रूप में नहीं लिया। अभी तक जितनी वार्ता हुई, वह सफल नहीं हो सकी।

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कागजों पर जरूर बन गई प्लानिंग

एलडीए उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह के निर्देश पर जरूर मुख्य नगर नियोजक जेएन रेड्डी ने प्रबंध नगर योजना का खाका खींचा था। यह योजना अभी तक सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।

पार्क चरणबद्ध तरीके से होगा विकसित

एलडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि पार्क जमीन पहले से ही चिह्नित है। सिर्फ बैरीकेडिंग करानी होगी। इसके बाद पार्क को तीन चरणों में बाटा जाएगा और फिर विकास किया जाएगा।

कहां से आएगा बजट

एलडीए के खाते में मात्र 164 करोड़ रुपये हैं। इसमें कर्मचारियों का वेतन देना है और अन्य तमाम खर्चे हैं। बसंत कुंज के आठ सौ किसानों को मुआवजे के रूप में 170 करोड़ रुपये देने हैं। अब सवाल खड़ा होता है कि यह हवा हवाई योजना को अमली जामा पहनाने के लिए पैसे कहां से जुटाए जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक पार्क को विकसित करने में कम से कम तीन सौ करोड़ रुपये चाहिए होंगे।

मुआवजा उठा नहीं कैसे करेंगे कब्जा

प्रबंध नगर की जमीन दो चरण में एलडीए ने ली है। पहला चरण में घैला है। यहां 442.885 हेक्टेअर जमीन है। दूसरा चरण अल्लू नगर डिबरिया है। यहां करीब 224.63 हेक्टेअर जमीन है। कुल 666 हेक्टेअर से अधिक जमीन है। वर्ष 2007 में गजट निकला और वर्ष 2010 में जमीन अधिग्रहित करने की कार्रवाई शुरू हुई। यही नहीं जिला प्रशासन के खाते में 202 करोड़ जमा कराए गए थे लेकिन एलडीए अभी तक जमीन पर कब्जा नहीं ले पाया है। डेढ़ हजार किसानों में किसी ने अभी तक मुआवजा नहीं उठाया है। सवाल खड़ा होता है कि जमीन कैसे अधिग्रहित करेंगे।

ठंडे बस्ते में मोहान रोड योजना

मोहान रोड योजना के तहत 270 हेक्टेअर जमीन अधिग्रहित करनी थी। एलडीए सिर्फ 113 हेक्टेअर जमीन ही कागजों पर अधिग्रहित कर सका है। मुआवजे के रूप में 442 करोड़ शासन को जमा हुए थे। यहां अस्सी फीसद किसानों ने जरूर मुआवजा उठा लिया है। इसके बाद भी किसान यहां बढ़ा हुआ मुआवजा मांग रहे हैं। इसलिए किसान यहां काम शुरू नहीं करने दे रहे हैं। यहां भी कागजों पर ग्रुप हाउसिंग, प्लाट व आवास बनाने की योजना एलडीए ने वर्षो पहले बना ली थी।


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