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बजट बिगाड़ रहा लाइफ स्टाइल डिजीज

- तंबाकू जनित रोगों के उपचार का खर्च प्रदेश में सर्वाधिक जागरण संवाददाता, लखनऊ : तंबाकू को प्रतिबं

By Edited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 07:47 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 07:47 PM (IST)

- तंबाकू जनित रोगों के उपचार का खर्च प्रदेश में सर्वाधिक

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जागरण संवाददाता, लखनऊ : तंबाकू को प्रतिबंधित करने में राज्य सरकार भले ही हिचकिचा रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि देश में उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जहां तंबाकू जनित रोगों के उपचार पर सबसे ज्यादा रकम खर्च की जा रही है। यही नहीं, लाइफ स्टाइल डिजीज यानी डायबिटीज व हाईपरटेंशन भी प्रदेश का बजट बिगाड़ रहे हैं। केवल यही नहीं दवाइयों पर आने वाले खर्च ने गृहस्थी की भी ऐसी की तैसी कर दी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में तंबाकू से संबंधित बीमारियों का सर्वाधिक आर्थिक बोझ उत्तर प्रदेश में है, जो देश के कुल 1,04,500 करोड़ रुपये का 28 फीसद आंका गया है। इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश 29,000 करोड़ रुपये तंबाकू जनित रोगों के उपचार पर व्यय कर रहा है। चिकित्सकों के अनुसार तंबाकू व इससे जुड़े अन्य उत्पादों के सेवन से 40 प्रकार के कैंसर व 25 तरह की बीमारियां होती हैं। यही नहीं, हर दिन 2200 लोग इसके कुप्रभावों के चलते अकाल मौत का शिकार हो जाते हैं। खास बात यह कि केवल वयस्क ही नहीं बच्चे व महिलाएं भी बड़ी संख्या में इसके लती हो रहे हैं। नतीजा ओरल कैंसर के बढ़ते हुए मामले हमारे सामने हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2015 के आकड़ों के अनुसार गाव में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 9.1 फीसद है। वहीं, शहरों में यह खर्च 6.2 फीसद है। प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अस्पताल में भर्ती होने का औसत खर्च 18,693 करोड़ रुपये है, जबकि शहरों में यह खर्च दो गुने से कहीं अधिक 31,653 करोड़ रुपये है। देश के अन्य राज्यों के मुकाबले यह खर्च सर्वाधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार इसकी प्रमुख वजह यह है कि सरकारी अस्पताल छोड़ निजी हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले लोगों का अनुपात दिनोंदिन बढ़ रहा है। इसके अतिरिक्त मरीज दवा से संबंधित और आइपीडी खर्च, डॉक्टर की फीस, 10 घटे से अधिक इंतजार करने की अवधि और अस्पताल आने में लगने वाले समय पर भी काफी पैसा खर्च करते हैं। मरीजों को हेल्थकेयर के भारी-भरकम खर्च को चुकाने के लिए बचत को खत्म करना पड़ता है। पैसा न होने पर उधार लेने या जमीन अथवा गहने को बेचने अथवा गिरवी रखने की भी नौबत आ जाती है। ऐसे में बीमारियों के बढ़ते बोझ के चलते उनका बजट बिगड़ रहा है।

सुझाव

-प्रदेश में तंबाकू , गुटखा पर रोक लगाई जाए

-स्कूल-कॉलेजों के आसपास इसकी बिक्री पर कड़ाई से प्रतिबंध लगे

- लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाया जाए

- लोगों को जागरूक करें, जिससे लाइफस्टाइल डिजीज जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन को रोका जा सके


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