यूपी चुनाव: 'पीके' मंथन में निकले तीन नाम, राहुल, प्रियंका या शीला को मिले कमान
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) सूबे में कांग्रेस को फिर पटरी पर लाने को कांग्रेस उपाध्यक्ष या फिर राहुल गांधी प्रियंका गांधी को फ्रंट पर लाना चाहते हैं। प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश पर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंप दी है।
लखनऊ। टीम पीके (प्रशांत किशोर) इन दिनों उत्तर पदेश के दौरे पर है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर सूबे में कांग्रेस को फिर पटरी पर लाने को कांग्रेस उपाध्यक्ष या फिर राहुल गांधी प्रियंका गांधी को फ्रंट पर लाना चाहते हैं। प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश पर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान को सौंप दी है।इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर ने कहा है 2019 लोक सभा चुनाव से पहले 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को राहुल गांधी के नेतृत्व में जीतना जरूरी है।
टीम पीके ने जाना महाराजगंज का हाल
टीम पीके महराजगंज में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए टीम पीके ने आज डेढ़ दर्जन उपाध्यक्षों व महासचिवों की नब्ज टटोली और हाल जाना। प्रत्येक पदाधिकारी से अलग-अलग बात की तो प्याज के छिलके की तरह परत दर परत कलई खुलने लगी और कांग्रेस के ट्रंप कार्ड अल्पसंख्यक, ब्राह्मïण व अनुसूचित जाति के मतदाताओं के दूर होने का कारण स्पष्ट होता गया। गोपनीय बैठक व पदाधिकारियों से अलग-अलग वार्ता के पहले टीम पीके ने सभी को हिदायत दी कि यहां बनने वाली रणनीति गोपनीय रखी जाए और किसी भी दशा में मीडिया में न जाए। पदाधिकारियों के भरोसा दिलाने पर मतदाताओं की संख्या से बात शुरू हुई।
राहुल, प्रियंका या शीला दीक्षित
प्रशांत ने कहा कि राहुल गांधी, प्रियंका गांधी या दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का चेहरा बनाना चाहिए। प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा है कि या तो वे या फिर प्रियंका को कांग्रेस की कमान संभालनी पड़ेगी। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक ब्राह्मण, दलित व मुसलमानों के लिए भी अलग-अलग सुझाव दिया।प्रशांत का मानना है देश में अगले लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी को एक बड़ी जीत की जरुरत है। ऐसे में उन्हें उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तुत किया जाना चाहिए।प्रशांत किशोर ने इससे पहले जो दो चुनाव सफलतापूर्वक लड़वाए हैं उनमे उनके पास चेहरा था। देश में 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी और 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार। ऐसे में प्रशांत का सुझाव है कि यूपी में भी एक चेहरा होना जरूरी है।
ब्राह्मण चेहरा सामने लाना होगा
पीके के मुताबिक कांग्रेस को प्रदेश में एक ब्राह्मण चेहरा भी सामने लाना होगा। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन में बदलाव के भी सुझाव दिए हैं। 19 मई तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी अपने संगठन स्तर पर बड़ा फेरबदल कर सकती है। इतना ही नहीं कांग्रेस पीके सुझाव पर मुख्यमंत्री चेहरे के नाम की भी घोषणा कर सकती है.
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की उम्र अधिक है इसी कारण उनके नाम पर सहमती बनना आसान नहीं लगता। उनको अहम भूमिका दी जा सकती है। अब देखना होगा कि कांग्रेस राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है या फिर कोई अन्य रास्ता अपनाती है।