राजभवन से छह विधेयक मंजूर, लोकायुक्त विधेयक विचाराधीन
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र में पारित 11 विधेयकों में से छह को राज्यपाल राम नाईक ने मंजूरी दे दी है जबकि तीन विधेयकों को राष्ट्रपति को संदर्भित किया है। राज्यपाल ने सुर्खियों में रहे लोकायुक्त चयन विवाद के संबंध में पारित किए गए उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त और
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र में पारित 11 विधेयकों में से छह को राज्यपाल राम नाईक ने मंजूरी दे दी है जबकि तीन विधेयकों को राष्ट्रपति को संदर्भित किया है। राज्यपाल ने सुर्खियों में रहे लोकायुक्त चयन विवाद के संबंध में पारित किए गए उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2015 सहित दो विधेयकों पर विचार के बाद निर्णय करने की बात कही है।
जिन विधेयकों को अनुमति-उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2015 : इस विधेयक के जरिए उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मंडी अधिनियम 1964 में प्राविधानित शमन शुल्क में बढोतरी की गई है।
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (संशोधन) 2015 : इसके जरिए अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति प्रबंध समिति के बजाय आयोग द्वारा की जाएगी।
उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2015 : इसके जरिए उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तित होकर अब डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ हो जायेगा।
उत्तर प्रदेश इंडियन मेडिसिन (संशोधन) विधेयक 2015 : इसके जरिए आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सक भी मरीजों को आधुनिक (एलोपैथी) दवाइयां लिख सकेंगे।
डा.राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2015 : इस विधेयक में प्रावधान है कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश यदि कुलाध्यक्ष पद के लिए अपनी सहमति नहीं देते हैं तो उच्चतम न्यायालय के किसी आसीन न्यायाधीश को विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष पद के लिए नामित करेंगे तथा मुख्यमंत्री जो विश्वविद्यालय की महापरिषद का अध्यक्ष होंगे, की अनुपस्थिति में प्रदेश के किसी कैबिनेट मंत्री को महापरिषद के अधिवेशन की अध्यक्षता करने के लिए नामित करेंगे।
राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश सिविल विधि (संशोधन) विधेयक 2015 तथा भारतीय स्टाम्प (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2015 को समवर्ती सूची में होने के कारण राष्ट्रपति केविचारार्थ आरक्षित किया है। इन दोनों विधेयकों को अनुमति देने से केंद्रीय कानून प्रभावित होंगे इसलिए ऐसे मामलों में राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक होती है। राज्यपाल ने एरा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश संशोधन विधेयक 2015 को भी राष्ट्रपति को संदर्भित कर दिया है। इस विधेयक को अनुमति देने से केंद्रीय कानून के प्राविधान तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम प्रभावित होगा।एरा विश्वविद्यालय लखनऊ वधेयक सामान्य बहुमत से दोनों सदनों में पारित किया गया है। विधेयक में प्रावधान है कि एरा विश्वविद्यालय का दर्जा समाप्त करने के लिए विधान मंडल में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी तथा राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की कठिनाई को दूर करने संबंधी आदेश को उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय की न्यायिक अवलोकन की परिधि से बाहर रखा गया है।
डा.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान विधेयक 2015 तथा उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त (संशोधन) विधेयक 2015 अभी राज्यपाल के समक्ष विचाराधीन हैं। राज्यपाल पहले ही कह चुके हैं कि उनके पास जिस क्रम से विधेयक आए हैं उन पर उसी क्रम में विचार किया जाएगा। पहले लोहिया विधेयक और फिर अंत में लोक आयुक्त संशोधन विधेयक पर विचार कर निर्णय किया जाएगा। गौरतलब है कि लोक आयुक्त विधेयक के जरिए प्रदेश सरकार ने लोक आयुक्त के चयन की प्रक्रिया में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका समाप्त कर दी है।