लोकायुक्त की नियुक्ति मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में रखेगी पक्ष
नये लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रस्ताव चौथी बार राजभवन से खारिज होने के बाद सरकार अब 'सारी सच्चाई' सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी। सरकार के विधि विशेषज्ञों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। उनका मानना है कि न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए भेजा गया उनका
लखनऊ। नये लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रस्ताव चौथी बार राजभवन से खारिज होने के बाद सरकार अब 'सारी सच्चाई' सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी। सरकार के विधि विशेषज्ञों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। उनका मानना है कि न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए भेजा गया उनका प्रस्ताव कानूनी रूप से दुरुस्त है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रयास तेज हुए। समय-समय पर राज्य सरकार की ओर से भेजे गये चार प्रस्तावों पर राजभवन ने न सिर्फ सवाल उठाये बल्कि सोमवार को चौथा प्रस्ताव खारिज करते हुए रविन्द्र सिंह के स्थान पर नया नाम भेजने का निर्देश भी दे दिया। राजभवन के तल्ख रुख के बाद राज्य सरकार ने 'सब कुछ' सुप्रीम कोर्ट को बताने की तैयारी है। सूत्रों का कहना है कि इसमें लोकायुक्त अधिनियम का हवाला देकर यह बताया जायेगा कि लोकायुक्त चयन कमेटी में सतर्कता के विभागीय मंत्री (जो मुख्यमंत्री हैं) व नेता प्रतिपक्ष सदस्य हैं, जिनके द्वारा चयनित नाम पर मुख्य न्यायाधीश से सलाह ली जाती है। दो सदस्यों ने रविन्द्र सिंह के नाम का चयन किया है। ऐसे में राजभवन का ऐतराज जायज नहीं है। सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख कर अपने प्रस्ताव को सही ठहराने का प्रयास भी करेगी। राज्य सरकार मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार का हवाला भी दिया जायेगा। सरकार के सूत्रों का कहना है कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार के कैबिनेट के निर्णय मानने की बाध्यता का तर्क भी सुप्रीम कोर्ट में रखा जायेगा।